प्र. आपकी नजर में ओशो कौन हैं तथा आपका उनसे मिलना कब और कैसे संभव हुआ?
उ. ओशो अपने आप में बहुत कुछ और सब कुछ हैं। ओशो गुरुओं के गुरु हैं, उनके जैसी गहराई मैंने और किसी में नहीं देखी। उनका जो विजन है वह अद्भूत और अतुलनीय है।
मुझे उनके साथ बिताये गए वो सारे सुनहरे पल याद हैं, जब वह शरीर में थे। उनका प्रेम, सेन्स ऑफ ह्यूमर, सब कुछ बहुत अद्भूत है। ओशो मेरे जीवन में वह पहले पुरुष हैं जिन्होंने न केवल मुझे बेशर्त प्यार किया बल्कि बेशर्त प्यार करना भी सिखाया। शारीरिक रूप से न सही, आध्यात्मिक रूप से उन्होंने मुझे जन्म दिया है। ओशो वह व्यक्ति हैं जिन्हें मैं सबसे ज्यादा सराहती व प्रेम करती हूं। उन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया है। मेरे अंदर की हर संभावना को मेरी प्रतिभा बनाया है।
70 के दशक के आरंभ की बात है उस वक्त मैं व मेरी ही तरह यूरोप और अमेरिका के बहुत से लोग अपने भीतरी विकास के लिए भटक रहे थे। उस वक्त मैं पहली बार ओशो के संन्यासियों से लंदन में मिली थी, जो कि संतरी रंग के चोगों में थे। उनमें से किसी ने मुझे एक पुस्तक दी थी, जिसे पढ़कर मैंने अपने आप से यह सवाल किया कि क्या यह संभव है ?' साथ ही यह भी विश्वास हुआ कि, यह आदमी जो बोल रहा है। वह है तो सत्य। ओशो की बातें सीधी और साफ थीं, सीधे अंदर उतरती थी। मेरे लिए किसी इंसान में ह्यूमर बहुत मायने रखता है और ओशो का सेन्स ऑफ ह्यूमर ही बहुत गजब का है।
प्र. कैसी थी ओशो से पहली मुलाकात?
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विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।