प्र. ओशो पर बनी वाइल्ड वाइल्ड कंट्री की पिछले दिनों खूब चर्चा रही, इस फिल्म पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उ. इस फिल्म की बात करें तो इसमें कुछ भी नया नहीं था। जो भी चीजें दिखाई गई वह सब इंटरनेट पर पहले से उपलब्ध है। साथ ही इस लहजे को लेकर पहले भी बहुत कुछ बना हुआ है। बस प्लेटफॉर्म नया है, जिसके कारण यह एक साथ कई लोगों तक पहुंच गई है। इसके दूसरे पहलू की बात करें तो यह फिल्म जिसके ऊपर बनाई गई है, पात्र उसके पक्ष-विपक्ष में बोल रहे हैं, लेकिन जिस व्यक्ति पर फिल्म बनी है यानी ओशो उसका ही पक्ष इसमें नहीं है। जबकि ओशो ने वर्ल्ड मीडिया के सामने हर प्रश्न का उत्तर दिया है, फिर चाहे वह प्रश्न रजनीशपुरम का हो, शीला का हो या सरकारी व्यवस्था का, इन सभी विषयों पर ओशो ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने शीला की सभी हकीकत बताई है। ओशो ने 198 4 में जब बोलना शुरू किया तो सबसे पहले उन्होंने वर्ल्ड मीडिया को बुलाया था।
ओशो जब जेल में थे तब भी बोले, जेल से निकलने के बाद भी बोले। ओशो ने अपने से जुड़े सारे विवादों का मीडिया के सामने जवाब दिया है। इन सब के वीडियो भी उपलब्ध हैं और एक नहीं सैकड़ों वीडियो उपलब्ध हैं।
फिल्म के निर्माताओं ने यदि थोड़ी ईमानदारी बरती होती तो जहां से अन्य वीडियो खोजी हैं, जहां से विपक्ष का मटीरियल मिला है, वहां से पक्ष का भी जरूर मिलता। यदि वह ओशो इंटरनेशनल से पूछते, तो हम वीडियो उपलब्ध करा देते, लेकिन उन्होंने ऐसी कोई कोशिश ही नहीं की।
प्र. क्या आप मानते हैं कि रजनीशपुरम बनने व ओशो की अंतराष्ट्रीय छवि बनाने में शीला का योगदान सबसे अहम था?
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