• मालिक त्वचा की शुष्कता को दूर करती है, जिससे त्वचा की स्निग्धता व कोमलता बढ़ जाती है।
• मालिश द्वारा रक्त संचार तीव्र होने से त्वचा में गुलाबी रंगत आती है और त्वचा का वास्तविक रंग निखरने लगता है।
• रक्त संचार के बढ़ने से त्वचा की अंदरूनी सतहों को पूर्ण पोषण प्राप्त होता है और नवीन स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण कार्य के तीव्र होने से त्वचा की स्वस्थ सतह जल्दी उभरने लगती है।
• मांसपेशियों का ढीलापन दूर होता है और मानसिक व शारीरिक तनाव से राहत मिलती है।
• रक्त संचार तीव्र होने से त्वचा के भीतर जमा विषैले तत्त्व शरीर से बाहर निष्कासित हो जाते हैं।
• मालिश से तैलीय ग्रंथियों के कार्य में और रोम छिद्रों में जमे तेल को त्वचा की सतह पर आने में मदद मिलती है।
• इससे त्वचा पर झुर्रियां जल्दी नहीं आती, मालिश मांसपेशियों को पुष्ट करती है, जिससे त्वचा का कसाव बढ़ जाता है। चेहरे की मालिश हाथों द्वारा की जाती है। इसके अतिरिक्त आजकल मालिश करने के लिए अनेक उपकरण भी मिलते हैं। वैसे उपकरणों की तुलना में हाथों द्वारा ही चेहरे की सही व अच्छी मालिश हो सकती है। हथेली व उंगलियां, मांसपेशियों की बनावट के अनुसार मसाज करने से अधिक सक्षम होती हैं। उपकरण इस कार्य को करने में पूर्णतया असमर्थ होते हैं। इनके द्वारा की गई मालिश से केवल रक्त संचार ही तीव्र हो सकता है। नाजुक मांसपेशियों को उचित दवाब व कसाव केवल हाथों द्वारा ही दिया जा सकता है। हथेली द्वारा चेहरे के हर भाग पर दवाब को कम व ज्यादा कभी भी किया जा सकता है। आंखों के आस-पास की त्वचा को सबसे कम दवाब की जरूरत होती है। मालिश करने का अर्थ चेहरे को रगड़ना या मसलना नहीं है, मालिश सदा हल्के दवाब के साथ उंगली व हथेलियों को मांसपेशियों पर फिसलाते हुए करनी चाहिए।
त्वचा की मालिश के प्रकार
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
विदेशों में भी लोकप्रिय दीपावली
दीपावली के अवसर पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दीपों की जगमगाहट और पटाखों की गूंज होती है। लेकिन यह त्यौहार सरहद और सात समंदर पार भी उसी उत्साह और उमंग से मनाया जाता है। कहां और कैसे, जानें लेख से।
शक्ति आराधना के साढ़े तीन पीठ
महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तुलजापुर, माहूर और नासिक इन स्थानों पर मां अंबे के साढ़े तीन पीठ हैं। ये सभी शक्ति पीठ जागृत धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके महत्त्व और आख्यायिकाओं के बारे में जानें इस लेख से।
बढ़ती आबादी बनी चुनौती
विश्व की जनसंख्या सात अरब से भी पार जा चुकी है। अगर अपने देश भारत की बात करें तो यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का 17.78% है। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
दीपावली में रंग भरती रंगोली
रंगोली लोकजीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। देश के विभिन्न हिस्सों में रंगोली सजाने का अपना अलग-अलग स्वरूप है। दीपावली के मौके पर इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
धनतेरसः मान्यताएं और खरीदारी
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को यानी धनवंतरि त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। दीपावली से दो दिन पूर्व मनाया जाता है धनतेरस। इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस के महत्त्व को जानें इस लेख से।
लक्ष्मी को प्रिय उल्लू, कौड़ी और कमल
हिन्दू धर्म में मां लक्ष्मी को धन और प्रतिष्ठा की देवी मानते हैं तो उनके वाहन उल्लू को भी भारतीय संस्कृति में धन-संपत्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही कौड़ी और कमल का भी मां लक्ष्मी से गहरा नाता है।
सब दिन होत ना एक समाना
पुष्पक विमान में बैठ कर राम, सीता व लक्ष्मण अनेक तीर्थस्थलों का भ्रमण करने के पश्चात अयोध्या लौट रहे थे। चौदह वर्ष पश्चात अपनी मातृभूमि के दर्शन के इस विचार से ही श्रीराम गदगद् हो उठे।
जय मां नीलेश्वरी काली जन्म दाती से जगत जननी तक
डस पृथ्वी पर धरा एक ऐसी शक्ति है जिसमें सभी बुद्धिजीवी प्राणी कृपा पाते हैं, जिसके रूप अनेक हैं, कोई किसी नाम से कोई किसी नाम से मां आदि शक्ति की पूजा करते हैं।
नौ कन्याओं का पूजन क्यों?
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन कर अपने सामर्थ्यनुसार दक्षिणा देकर भक्त माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बिना कसरत के वजन कम करें, अपनाएं ये टिप्स
व्यायाम के बिना वज़न घटाने के इन चमत्कारी तरीक़ों पर गौर करें और बिना व्यायाम के अपना वज़न घटाने की शुरुआत करें।