गैजेट्स की लत से छिनता बच्चों का मासूम बचपन
Sadhana Path|September 2024
सूचना-तकनीक के इस समय में चाहे अनचाहे हर व्यक्ति तकनीकी गैजेट्स की भीड़ से घिरा हुआ है। यहां तक कि बच्चों की एजुकेशन और विकास में भी इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन किस हद तक, जानिए इस लेख द्वारा -
गीता सिंह
गैजेट्स की लत से छिनता बच्चों का मासूम बचपन

नोएडा की रहने वाली मिसेज कपूर आज किटी पार्टी में अपनी सहेलियों से शिकायत कर रही थी कि उनका 8 साल का बेटा शौर्य पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलता रहता है या फिर यू-ट्यूब पर वीडियो देखता रहता है। कितना भी मना करो, मानता ही नहीं है। खाना भी मोबाईल में कार्टून देखते-देखते ही खाता है। यदि मोबाइल छिपा दो तो रो-रोकर बुरा हाल कर लेता है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर अपने बच्चे को मोबाईल से ने जो समस्या कैसे दूर रखें। मिसेज कपूर अपने बच्चे के बारे में बताई, वही समस्या आजकल लगभग हर मां-बाप के साथ है। तकनीक के इस युग में बड़ों से लेकर बच्चों तक में मोबाईल, लैपटॉप, टैब व अन्य गैजेट्स की लत बढ़ती जा रही है। बच्चे तो इस कदर स्मार्टफोन, वीडियो गेम्स के आदी होते जा रहे हैं कि उनकी यह लत छुड़ाने के लिए बाकायदा मनोचिकित्सक के पास ले जाया जा रहा है। सबसे अजीब बात ये होती है कि अभिभावकों को इस बात का एहसास ही नहीं हो पाता है कि उनका बच्चा गैजेट्स का आदी होता जा रहा है।

जानें गैजेट्स की लत के कारण और उसके दुष्प्रभाव

पटना की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉ. बिंदा सिंह के अनुसार, जब हम किसी भी चीज का इस्तेमाल 24 घंटे करने लगते हैं। तो वह एक आदत बन जाती है और व्यक्ति उसके बिना रह नहीं पाता है। ठीक इसी तरह जब बच्चे मोबाइल, सेलफोन, टैबलेट और स्मार्टफोन जैसे गैजेटस का इस्तेमाल दिन भर करने लगते हैं और उसके बिना उनका मन किसी दूसरे काम में ना लगे तो समझ जाएं कि आपके बच्चे को गैजट्स की लत लग चुकी है। आज के समय का यह एक बहुत बड़ा सच है कि, तकनीक ने एक तरफ हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है, वहीं वह दूसरी तरफ लोगों को अपना गुलाम भी बना चुकी है। खासतौर से बच्चे तो इन गैजेट्स की लत का बड़ी तेजी से शिकार हो रहे हैं। इसकी लत कोई और नहीं, अनजाने में उनके अभिभावक ही लगाते हैं।

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