त्योहार जीवन में नयापन और उमंग भरने के साथ-साथ रिश्तों में भी ताजगी का अहसास कराते हैं। यही वजह है कि अपने करीबी लोगों के साथ त्योहार मनाना सबको अच्छा लगता है। पर, कैसा लगे यदि आप हर त्योहार और हर मौके को लेकर उत्साह से भरी रहती हों, लेकिन साथी में उस तरह का जोश देखने को न मिले। ऐसे में किसी भी खास मौके का मजा और रंग फीका लगने लगता है। साल 2020 में यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस द्वारा किए गये एक शोध से पता चलता है कि जो जोड़े हंसी-खुशी के मौके समान उत्साह के साथ मनाते हैं, उनके रिश्ते में संतुष्टि का भाव ऐसा नहीं करने वाले जोड़ों की तुलना में ज्यादा होता है। दरअसल, जीवन में आने वाले खुशी के मौके या खास दिन हमारे लिए खूबसूरत यादों का गुलदस्ता तैयार करते हैं, ताकि आने वाले कल में उन मौकों को याद करके चेहरे पर मुस्कान आ जाए। यही वजह है कि ऐसे खास अवसर हम हमेशा अजीज लोगों के साथ ही मनाते हैं।
जब ना मिले अंदाज
किन्हीं दो लोगों की पसंद हमेशा एक जैसी हो यह जरूरी नहीं, लेकिन जिंदगी जीने का अंदाज ही एक-दूजे से बिलकुल जुदा हो जाए तो रिश्ता बोझिल लगने लगता है। मसलन, बीवी को यदि त्योहारों पर खूब सजने-संवरने का शौक हो और पतिदेव खास मौके पर भी घर के पजामा-टीशर्ट में ही बैठना पसंद करे तो जाहिर तौर पर खटर-पटर होगी ही। इसी तरह यदि किसी खास मौके पर पति को बाहर जाकर सेलिब्रेट करना पसंद हो, लेकिन पत्नी साथ चलने में अनिच्छा जताए तो भी सेलिब्रेशन के माहौल पर पानी फिर जाएगा। इसलिए जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे की पसंद और इच्छाओं का खयाल रखें और उसमें अपनी दिलचस्पी दिखाएं।
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अमिता पुरी इस बारे में कहती हैं, 'किसी खुशी के पल को साथ मिलकर मनाना आपको अपने जीवनसाथी के और करीब ले आता है क्योंकि जब आप एक साथ अच्छा समय बिताते हैं तो रिश्ते अपने आप मजबूत होने लगते हैं। लेकिन जब घर पर अपने साथी से मनचाही तवज्जो नहीं मिलती तो इंसान अन्य चीजों में सुकून तलाशने लगता है जो किसी भी लिहाज से एक अच्छी चीज नहीं है।'
साथी को समझें
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