गर्भधारण से लेकर अपने लाडले की किलकारी सुनने तक का वो नौ महीनों का सफर तमाम उतार-चढ़ावों से गुजरकर पूरा होता है। इस डगर पर निकली हर मां का सपना पूरा हो, ऐसा जरूरी नहीं। आपके साथ ऐसा न हो इसके लिए जरूरी है गर्भावस्था में स्वस्थ रहना। इस दौरान अगर आप अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं कर रही हैं, तो गर्भ में पल रहे शिशु को सेहत से जुड़ी कई तरह की चुनौतियों का सामना करने की आशंका कई गुना बढ़ सकती है। बेहतर होगा कि यदि आप गर्भावस्था की योजना बना रही हैं या पहले से ही गर्भवती हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप बिल्कुल स्वस्थ हैं ताकि आपका बच्चा भी सेहतमंद पैदा हो । स्वस्थ गर्भावस्था के कई संकेत हैं, जो आपको काफी हद तक यह बता सकते हैं कि आपका शिशु स्वस्थ होगा या नहीं। आपको न सिर्फ उन संकेतों को जानना होगा बल्कि उन पर गौर भी करना होगा ताकि न सिर्फ आपकी खुशी बनी रहे बल्कि आपका बच्चा भी एकदम सेहतमंद अवस्था में इस दुनिया में अपना कदम रखे।
रक्तचाप और रक्त शर्करा हो नियंत्रित
रक्तचाप और रक्त शर्करा यानी शुगर यह जानने का सबसे पहला तरीका है कि आपकी प्रेग्नेंसी में समस्या नहीं है। इस बाबत केजीएमसी, लखनऊ के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की प्रोफेसर और यूनिट हेड डॉ. रेखा सचान कहती हैं कि गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की स्थिति को प्रीक्लेम्पसिया कहते हैं। इससे मां को दौरे आ सकते हैं। यह उसके गुर्दे की सेहत और आंखों की रोशनी पर असर डाल सकता है। अंतरिक रक्तस्त्राव के चलते मां की जिंदगी भी खतरे में आ जाती है। यह भी मुमकिन है कि उच्च रक्तचाप के कारण बच्चे को समय से पहले दुनिया में लाना पड़ जाए और उस वक्त तक बच्चे के सभी अंगों का विकास पूरी तरह से नहीं हुआ हो और समय से पहले जन्म से उसकी जान को खतरा हो। ऐसे बच्चों को हॉस्पिटल में काफी वक्त बिताना पड़ता है। रक्त शर्करा यानी शुगर की बात करें तो वह भी खासा नुकसानदेह है। डाइप-टू डायबटीज में बच्चे के अंगों में खराबी भी आ सकती है। बेहतर होगा कि अगर आप मधुमेह यानी शुगर की मरीज हैं तो उसे नियंत्रित करने के बाद ही गर्भधारण करें। इन नौ महीनों में मधुमेह की समस्या होने पर भी उसको खुराक और व्यायाम से नियंत्रित रखें वरना गर्भावस्था के अंत तक स्थिति बिगड़ सकती है।
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