दादी-नानी और मां आज भी जरूरत होने पर कई बार दाल के डिब्बे में हाथ डालकर पैसे निकाल लेती हैं। उनकी छोटी-छोटी बचतें कई बार बड़े-बड़े खर्चों को सहारा देने में मददगार बन जाती हैं। पर, इससे इतर आधुनिक युग में कई बार हम ढेरों की आमदनी के बावजूद खाली हाथ के खाली हाथ ही रह जाते हैं। इसके पीछे कारण होता है, आय और खर्च के बीच सामंजस्य का न होना। खर्च तो होगा ही, पर यह काम सोच-समझकर किया जाए तो यकीनन आप खाली हाथ नहीं रहेंगी। आप तंगहाली के दंश से बची रहें और अचानक से आने वाले खर्चों से भी आसानी से निपट पाएं, इसके लिए जरूरी है कि आपको बजट बनाने की आदत हो। बजट बनाकर खर्च करने से आपकी आर्थिक गाड़ी कभी भी पटरी से नहीं उतरेगी।
बजटिंग है जरूरी
अगर हम यह कहें कि बजट बनाना सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण वित्तीय आदत है, तो गलत नहीं होगा। जैसे हम पैसे को संभालना शुरू करते हैं, इस आदत को विकसित कर लेना फायदे का सौदा होता है। बजट बनाना न केवल खर्चे पर नजर रखने में मदद करता है, बल्कि हमारे खर्च करने की आदतों और पैसे के साथ हमारे संबंधों को समझने में भी मदद करता है। साथ ही बजट पैसे का अधिक जिम्मेदारी से उपयोग करने में हमारा मार्गदर्शन भी करता है।
कुछ यूं बांटे खर्च
सीधे शब्दों में समझें तो आय और व्यय के आधार पर
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