इनाम और सजा... कई सालों से यही दो बातें परवरिश का हिस्सा हैं। ज्यादातर अभिभावक अच्छा काम करने पर इनाम और गलत काम करने पर सजा के नियम को ही अपनाते आए हैं। वो बच्चों को इन्हीं दो आधार पर बड़ा करते रहे हैं, लेकिन अब परवरिश का वो जमाना बीत गया। इनाम और सजा का समीकरण अब के समय में बिल्कुल भी फिट नहीं बैठता है। अब जब बच्चों के पास इंटरनेट के माध्यम से देखने और जानने के लिए बहुत कुछ है, तब गलती पर सजा उनको अपने अभिभावक से दूर कर देती है। अगर आप चाहती हैं कि बच्चे आपके साथ दिल से जुड़े रहें और समय के साथ उनकी भी समझ विकसित हो तो उन पर आपको जेंटल पेरेंटिंग आजमानी होगी। जेंटल पेरेंटिंग सजा या फिर इनाम से इतर सामाजिक बेहतरी, व्यवहार और समझ के इर्द-गिर्द घूमती है। क्या है यह परवरिश और आप इसे कैसे आजमा सकती हैं, आइए जानें:
क्या है जेंटल पेरेटिंग?
सहानुभूति, सम्मान और समझ जेंटल पेरेंटिंग इन्हीं तीन बातों को अहमियत देती है। इन्हें ध्यान रखते हुए जब बच्चों को बड़ा किया जाता है तो बच्चे की पर्सनैलिटी खुशी और आत्मविश्वास से भरपूर होती है। इसके तहत बच्चे जिंदगी में काम आने वाले ऐसे पाठ समझते हैं, जिनका सामना उन्हें जीवन में कभी न कभी करना ही होता है।
इस परवरिश का तीन आधार
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