कुछ बच्चे बचपन से ही बड़े शर्मीले स्वभाव के होते हैं, चाहे घर में कोई मेहमान आए या क्लास में टीचर कोई सवाल कर ले। वे अपने शर्मीलेपन की वजह से जवाब ही नहीं दे पाते हैं। कई बच्चे तो इतने शर्मीले होते हैं कि वे अपने हमउम्र बच्चों से भी घुलमिल नहीं पाते हैं। बच्चे तो छोटे होते हैं, वह समझ नहीं पाते कि उनका यह शर्मीलापन आगे चलकर उनके लिए कितनी समस्याएं पैदा कर सकता है। ऐसे में माता-पिता का कर्तव्य है कि वो अपने बच्चों की ग्रूमिंग पर खास ध्यान दें।
मां की भूमिका
एक मां अपने बच्चे की पहली दोस्त और टीचर होती है और वही उसे सबसे बेहतर तरीके से समझ सकती है। जिन महिलाओं के बच्चे शर्मीले होते हैं, अकसर वह परेशान रहती हैं कि कहीं अपने शर्मीलेपन की वजह से उनका बच्चा दूसरे बच्चों से पीछे न रह जाए। उन्हें यह समझना चाहिए कि अधिकतर बच्चों में नए माहौल में जाने पर एक स्वाभाविक झिझक होती है। यही नहीं, जो बच्चे बहुत बातूनी और आत्मविश्वासी होते हैं, वो भी नये माहौल में एंग्जाइटी महसूस करते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चे को आत्मविश्वासी बनाने और उसमें सोशल स्किल विकसित करने के लिए ये प्रयास कर सकती हैं:
दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने दें
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