हमने अकसर सुना है, पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे खराब... पर, क्या कभी सोचा है कि खेल, खेल-खेल में हमें जिंदगी की ढेरों सलीके भी सिखा सकते हैं। माना हम अकसर इन्हें समय बिताने के लिए खेलते हैं, पर यह जाने-अनजाने हमें समय का सदुपयोग करना सिखा सकते हैं। इस बाबत रिलेशनशिप कोच ईला जैन कहती हैं कि खेल हमें कई सीख दे जाते हैं। खेल बॉडिंग, टीम बिल्डिंग, टीम वर्क के साथ ही नजरिया, सब्र वगैरह तोहफे के रूप में दे जाते हैं। यह खेल ही हैं, जो परिवार में जेनरेशन गैप को खत्म कर सकते हैं। फैमिली गेम की बात करें तो इनमें हम व्यक्ति विशेष की खूबियों को पहचानकर उसे निखार पाते हैं। बच्चों की खेल से यारी हमें बच्चों में दुश्मनी, चिढ़, जलन सरीखी समस्या की मौजूदगी का अहसास करा जाती है। बकौल ईला, अगर बच्चा हार कर बोर्ड या बैडमिंटन तोड़ देता है, तो इसका मतलब है कि उसमें धैर्य नहीं पर, खेल में यह खूबी भी है कि वह उसे अहसास कराए कि उसका यह रवैया उसके लिए गलत है।
मोनोपली सिखाता है किफायत
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हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन
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