जब बरतन हैं, तो खटकेंगे ही। यह बात ससुरालवालों और बहुओं के रिश्तों के लिए कही जाएं तो और भी सटीक हो जाती हैं। पर, यह छोटे-मोटे टकराव विस्फोटक न बन जाएं, इस दिशा में पहले से ही काम किए जाने की जरूरत है। आपको समझना होगा कि शादी होने वाली हो या फिर नया-नया रिश्ता बना हो, जब आप नए लोगों के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रही हों तो समस्या हो सकती है। दोनों पक्षों के बीच सोच, संस्कृति, स्वभाव सरीखे तमाम पहलू हैं, जो आ सकते हैं। पर, इस टकराव से बचा जा सकता है। जरूरत है, तो बीच का रास्ता निकालने की। इस बाबत डॉ. स्मिता कहती हैं कि हर बहू या होने वाली बहू की परिस्थितियां अलग हो सकती हैं, मुमकिन है समस्या भी अलग हो, पर अकसर नतीजा लगभग एक-सा ही होता है। यानी मतभेद, मनभेद, तकरार वगैरह। और ये सब आपके रिश्ते में दरार लाने के लिए काफी है। खट्टामीठा रिश्ता कसैला न होने पाए इसके लिए कुछ बातों को शुरुआत में ही तय कर लीजिए ताकि आगे न तो आपको परेशानी हो न ही आपके ससुराल वालों को।
बात करें साफ
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