योगी की ताकत से क्या तीसरी बार बनेगी मोदी सरकार!
DASTAKTIMES|May 2023
विपक्ष कुछ भी कहे लेकिन यह कड़वी हकीकत है कि योगी शासन में पहले उमेश अपहरण कांड में अतीक अहमद को सजा और उसके बाद गैंगस्टर एक्ट के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से माफिया मुख्तार अंसारी को 10 साल तथा उसके सांसद भाई अफजाल अंसारी को चार वर्ष की सजा आज भले ही किसी को सामान्य लगे, पर कुछ वर्ष पहले इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और वाराणसी के कोयला कारोबारी एवं विश्व हिंदू परिषद् के नेता नंदकिशोर रूंगटा की हत्या के मामले में जिन अंसारी भाइयों को सजा हुई है, उसमें पहले सीबीआई की अदालत को कोई सुबूत नहीं मिला था। मगर अब सब कुछ बदल गया है।
संजय सक्सेना
योगी की ताकत से क्या तीसरी बार बनेगी मोदी सरकार!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने छह साल से अधिक के शासनकाल में कई बड़ी उपब्धियां हासिल की हैं। शासन चुस्त-दुरुस्त दिखाई दे रहा है। अभी तक योगी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडेक्ट जैसी योजनाओं के सहारे सभी जिलों के क्षेत्रीय उत्पादों को आगे लाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि योगी राज में कानून व्यवस्था काफी चाक-चौबंद हैं। योगी का खौफ अपराधियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। जो लोग कानून व्यवस्था के मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती की सरकार की तारीफ करते नहीं थकते थे, वह अब माया सरकार की तुलना में योगी सरकार को इक्कीस बता रहे हैं। जानकार कहते हैं कि मायावती के शासनकाल में कुछ गुंडे-माफियाओं के खिलाफ तो कार्रवाई होती थी, लेकिन इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपराधियों को संरक्षण देने में भले ही समाजवादी पार्टी की सरकारों का रिकॉर्ड काफी खराब रहा हो, परंतु बसपा भी अपराधियों को संरक्षण देने के मामले में कभी पाक-साफ नहीं रही। अतीक और मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों को बसपा ने भी खूब पालापोसा था। मुख्तार को तो एक बार बसपा वाराणसी से बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव तक लड़वा चुकी है। अफजाल अंसारी बसपा का ही सांसद था, जिसकी गत दिनों चार साल की सजा मिलने के बाद लोकसभा की सदस्यता खत्म हो चुकी है। इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल पार्टी का बसपा ने अपनी पार्टी में विलय तक करा लिया था। कुल मिलाकर इसमें कहीं कोई शक वाली बात नहीं है कि अतीक और मुख्तार सपा-बसपा के तमाम पालतू गुंडे-दबंगों की तरह ही पोषित गुंडे थे ।

कांग्रेस, सपा या अन्य विरोधी दल के नेता योगी सरकार की कानून-व्यवस्था को लेकर कुछ भी कहें, लेकिन आम लोगों को पता है कि गैर बीजेपी सरकारों के शासनकाल में माफियाओं की हैसियत इतनी बढ़ी हुई थी कि कोई पुलिस अधिकारी उन्हें छूने तक का साहस नहीं कर सकता था । कृष्णानंद राय हत्याकांड का एक घिनौना पक्ष यह था कि मुख्तार के हत्यारों ने उन पर एके-47 से केवल सैकड़ों गोलियां ही नहीं बरसाईं, बल्कि शिखा भी काट ले गए थे।

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