किसकी झोली में गिरेगी 'अमरमणि'
DASTAKTIMES|September 2023
अमरमणि त्रिपाठी महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। वह समाजवादी पार्टी में भी रह चुके है। बाद में उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया था। बीजेपी के लिए अमरमणि इसलिए भी उपयोगी लग रहे हैं क्योंकि विरोधी दल के नेता लगातार योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप चस्पा करती रहती है, इसकी काट के लिए अमरमणि को बीजेपी बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पेश करके ब्राह्मण वोटों की गोलबंदी कर सकती है।
संजय सक्सेना
किसकी झोली में गिरेगी 'अमरमणि'

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊके पॉश इलाके पेपर मिल कॉलोनी में करीब 20 वर्ष पूर्व दिनदहाड़े गोली मारकर गर्भवती कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या की याद आज भी कई लोगों के जहन में ताजा होगी। मधुमिता के साथ उसकी कोख में पल रहा बच्चा भी दुनिया में आने से पहले का शिकार हो गया था। 

पुलिस को शुरुआती जांच में ही पता चल गया था कि कवयित्री की हत्या एक रसूखदार शादीशुदा शख्स से अवैध संबंध और इन संबंधों की बैसाखी के सहारे राजनीति में अपनी किस्मत चमकाने को आतुर युवा कवयित्री के अंत की पूरी पटकथा थी, जो बहुत जल्द ही सब कुछ हासिल कर लेना चाहती थी। इस पटकथा के दूसरे सिरे पर तत्कालीन स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री और पूर्वांचल के सबसे कद्दावर ब्राह्मण नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी खड़ी थीं। कवयित्री की हत्या में इन्हीं दोनों का हाथ में था, इसीलिए सत्ता के रसूख के आगे पुलिस ने भी घुटने टेकने में जरा भी देर नहीं लगाई। सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे की तर्ज पर पुलिस ने आईआईटी के छात्र को मधुमिता का सिरफिरा आशिक बताकर कवित्री की हत्या का इल्जाम उसके माथे पर चस्पा कर दिया। मामला सीबीआई के पास ना जाता तो शायद कभी 'दूध का दूध और पानी का पानी' नहीं हो पाता। कवित्री मधुमिता के परिवार को इंसाफ की इस लड़ाई में काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। तब जाकर अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को कोर्ट से उम्रकैद की सजा हो पाई थी। 

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किसमें कितना दम
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