अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की बिसात अब बिछ चुकी है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुद को चुनावी दौड़ से अलग कर लिया है और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन दे दिया है। अपने ऊपर गोलीबारी की घटना के बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जब बाइडन के ऊपर बढ़त लेते दिख रहे थे, ऐसे में बाइडन का कदम पीछे खींच लेना अब चुनाव को ट्रम्प के लिए मुश्किल बना सकता है और उन्हें नई रणनीति तैयार करनी पड़ सकती है। कमला हैरिस को अब तक डेमोक्रेटिक पार्टी का आधिकारिक प्रत्याशी नहीं बनाया गया है। संभव है कि अगस्त में होने वाले पार्टी के सम्मेलन के बाद यह घोषणा की जाए। कमला के अलावा कई अन्य प्रत्याशी भी नामांकन की दौड़ में हैं, जिनमें एक हैं वेस्ट वर्जीनिया से सीनेटर जो मंचिन। पहले वे डेमोक्रेट थे लेकिन अब निर्दलीय हैं। वे दोबारा डेमाक्रेटिक पार्टी में आने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि हैरिस के नामांकन को वॉशिंगटन में बैठी सत्ता द्वारा किसी राज्याभिषेक की शक्ल में थोपा नहीं जाना चाहिए बल्कि इसकी उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत हैरिस को पार्टी के साथ पंजीकृत 3,900 डेलिगेट चुनेंगे, जिन्हें पहले बाइडन को चुनना था। उसके बाद पार्टी के सुपर डेलिगेट, वरिष्ठ पदाधिकारी मिलकर हैरिस के नाम पर मुहर लगाएंगे। नवंबर में प्रस्तावित चुनाव के चलते इस प्रक्रिया के लिए अब समय कम बचा है। कमला उप-राष्ट्रपति हैं ही, इसलिए उनके प्रत्याशी चुने जाने की संभावना ज्यादा है। बाइडन के समर्थन के बाद देश भर से डेमोक्रेट सीनेटरों और पार्टी के बड़े चेहरों का समर्थन उन्हें मिलने लगा है।
अगर कमला राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी चुन ली गईं, तो यह कुछ रूढ़ियों को तोड़ने वाला साबित होगा और कुछ नई चुनौतियां भी खड़ी करेगा। भारतीय मां और अफ्रीकी पिता की संतान कमला हैरिस हमेशा से ऐसे तंत्र के खिलाफ रही हैं, जो इन समूहों से भेदभाव बरते जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ट्रम्प ऐसे ही तंत्र को अपना एजेंडा बनाकर भेदभाव की राजनीति का दोहन करते रहे हैं। जैसे, ट्रम्प का खेमा कमला हैरिस की हंसी का मजाक उड़ाता है क्योंकि वे खुलकर हंसती हैं।
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