असहमति पर दुर्गति 
Sarita|September First 2022
असहमति स्वाभाविक व मौलिक मानवीय गुण है और इसी से मानव का विकास संभव हुआ है. अब लोकतंत्रों के विकास के इस दौर में असहमत लोगों की आवाज बंद करने की सत्ताधारियों की कोशिश बताती है कि राजनीति और धर्म के पैरोकार तरक्की नहीं, कुछ और चाहते हैं.
भारत भूषण श्रीवास्तव
असहमति पर दुर्गति 

क चर्चित मगर विवादित लेखक सलमान रुश्दी का गुनाह बहुत संगीन है कि एक तो वे नास्तिक और दूसरे, मुसलमानों के पैगंबर हजरत मोहम्मद की शान में गुस्ताखी करते रहते हैं. लेकिन यह सब हवाहवाई नहीं है बल्कि इस के पीछे उन के अपने तर्क हैं. कट्टर से कट्टरवादी भी सलमान के तर्कों से असहमत नहीं हो सकता बशर्ते वह उन के उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेस' यानी शैतानी आयतों को बिना किसी पूर्वाग्रह के दिलोदिमाग की खिड़कियां खोल कर पढ़ ले. इस उपन्यास का सार और एक बहुत बड़ा सच उसी में लिखे एक वाक्य से स्पष्ट हो जाता है कि शुरुआत से ही आदमी ने गलत को सही ठहराने के लिए ईश्वर का इस्तेमाल किया.

खुद को सही और इसलाम व पैगंबर से असहमति जताने के जुर्म की सजा देने की कोशिश में अमेरिका के पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्का इंस्टिट्यूशन में 2 अगस्त को एक नौजवान ने सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमला कर दिया. हमला इतना खतरनाक और नफरत व प्रतिशोध से भरा हुआ था कि महज 20 सैकंड में उन के गले और पेट पर दर्जन से भी ज्यादा प्रहार किए गए. हमलावर का नाम है हादी मतार जो न्यूजर्सी में रहता है. सलमान को पुलिस सुरक्षा में तुरंत हवाई जहाज से अस्पताल ले जाया गया और उन की जान बच गई.

न्यूयॉर्क पुलिस की निगाह में हादी मतार के हमले की वजह भले ही स्पष्ट नहीं हो लेकिन किसी को यह बताने की जरूरत नहीं पड़ी कि यह उस फतवे का दीर्घकालिक असर है जो अब से 33 साल पहले 1989 में ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु, जाहिर है कट्टर, अयातुल्लाह खुमैनी ने जारी किया था कि सलमान रुश्दी को मारने वाले को 30 लाख डौलर का इनाम दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने अपने उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेस' में पैगंबर मोहम्मद के प्रति बेअदबी की है. यह सोचना बेमानी है कि हादी मतार ने सिर्फ इस रकम के लालच में हमला किया बल्कि उस की मंशा इसलाम के उसूलों की हिफाजत करना ज्यादा थी.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM SARITAView all
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
Sarita

"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली

'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.

time-read
3 mins  |
November Second 2024
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
Sarita

पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों

पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.

time-read
7 mins  |
November Second 2024
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
Sarita

शादी से पहले बना लें अपना आशियाना

कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.

time-read
6 mins  |
November Second 2024
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
Sarita

ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज

बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.

time-read
3 mins  |
November Second 2024
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
Sarita

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार

सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.

time-read
8 mins  |
November Second 2024
एमआरपी का भ्रमजाल
Sarita

एमआरपी का भ्रमजाल

एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.

time-read
4 mins  |
November Second 2024
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
Sarita

कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो

कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.

time-read
6 mins  |
November Second 2024
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
Sarita

कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश

कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.

time-read
10 mins  |
November Second 2024
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
Sarita

1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा

2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.

time-read
6 mins  |
November Second 2024
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
Sarita

अमेरिका अब चर्च का शिकंजा

दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.

time-read
4 mins  |
November Second 2024