शलभ की आज नाइट शिफ्ट थी. पूरी रात औफिस की भागदौड़ के बाद सुबह 11 बजे जब वह घर पहुंचा तो पूरे घर में धुएं और बड़े से हवनकुंड से आती तेज गंध ने उसे विचलित कर दिया. उसे याद आया कि 2 दिन पहले श्वेता ने बताया था कि वह घर में कोई अनुष्ठान करवाने वाली है. उसे नहीं पता था कि यह सब इतने बड़े पैमाने पर होने वाला है. सामने दाढ़ीमूंछ, लंबी जटाओं और गेरुए वस्त्रों में एक बाबा और दो चेले हवन करवा रहे थे. आसपास ढेर सारी हवन की सामग्री और प्रसाद रखे हुए थे. तेज आवाज में बाबा मंत्रजाप कर रहा था.
पास ही हाथ जोड़े श्वेता और उस की बहन बैठी हुई थी. इस माहौल को देख शलभ के सिर में तेज दर्द होने लगा. वह अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर बैठ गया. मगर आवाज और धुएं ने उस का पीछा नहीं छोड़ा था. कहां तो उस ने सोचा था कि जाते ही श्वेता को कौफी बनाने को कहेगा और थोड़ा आराम करेगा. मगर यहां तो बैठना भी कठिन हो रहा था. किसी तरह उस ने खुद को संभाला. फिर नहाधो कर छत पर जा कर बैठ गया. उस की आंखों के आगे पुराने दिन नाचने लगे.
तब शलभ और श्वेता एक ही ऑफिस में काम करते थे. श्वेता बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थी और उस की एक प्यारभरी नजर के लिए शलभ बेचैन रहता था. समय के साथ शलभ ने अपने प्यार का इजहार किया जिसे श्वेता ने खुले दिल से स्वीकार कर लिया. दोनों औफिस में ज्यादातर समय साथ बिताने लगे. कभी कैंटीन तो कभी औफिस के सामने वाले पार्क में जा कर बैठ जाते और एकदूसरे की आंखों में खो जाते. फिर दोनों दो से एक बन गए. मगर शादी के बाद शलभ को एहसास हुआ कि वे दोनों बहुत अलग हैं. शलभ ने केवल सुंदरता देख कर श्वेता को चाहा था. मगर अब साथ रहते हुए श्वेता की कुछ आदतें उसे परेशान करने लगी थीं.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.
शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार
सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
कर्ज लेकर बादामशेक मत पियो
कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
कनाडा के हिंदू मंदिरों पर कथित खालिस्तानी हमलों का इतिहास से गहरा नाता है जिसकी जड़ में धर्म और उस का उन्माद है. इस मामले में राजनीति को दोष दे कर पल्ला झाड़ने की कोशिश हकीकत पर परदा डालने की ही साजिश है जो पहले भी कभी इतिहास को बेपरदा होने से कभी रोक नहीं पाई.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाली मिलीजुली यूपीए सरकार केंद्र की सत्ता में आई. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों के साथ संसद से सामाजिक सुधार के कई कानून पारित कराए, जिन का सीधा असर आम जनता पर पड़ा. बेलगाम करप्शन के आरोप यूपीए को 2014 के चुनाव में बुरी तरह ले डूबे.
अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
दुनियाभर के देश जिस तेजी से कट्टरपंथियों की गिरफ्त में आ रहे हैं वह उदारवादियों के लिए चिंता की बात है जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने और बढ़ा दिया है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत दरअसल चर्चों और पादरियों की जीत है जिस की स्क्रिप्ट लंबे समय से लिखी जा रही थी. इसे विस्तार से पढ़िए पड़ताल करती इस रिपोर्ट में.