वर्ष 2014 में 'सब का साथ सब का विकास' का ढोल पीटपीट कर सत्ता में आई मोदी सरकार ने 8 सालों में विकास के जो वितान ताने हैं उन में कितने छेद हैं, यह सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकोनौमी की एक ही रिपोर्ट से साफ है. सरकार के हाथ का खिलौना बन चुके मीडिया हाउसेस घरघर जो चलचित्र चला रहे हैं, धरातल की हकीकत उस के बिलकुल उलट है.
बकौल मोदी मीडिया, भारत विश्वगुरु बनने जा रहा है. भारत की अर्थव्यवस्था तीव्र गति से बढ़ रही है. वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए दुनिया के देश आज मोदी की ओर देख रहे हैं. कुल जमा यह कि भारत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. मगर यह तरक्की हो किस की रही है? सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकोनौमी (सीएमआईई) ने बेरोजगारी का एक डेटा जारी किया है और उस के आंकड़े कह रहे हैं कि भारत की बेरोजगारी दर दिसंबर 2022 में बढ़ कर 8.30 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले 16 महीने में सब से अधिक है.
इस डेटा के मुताबिक, शहरों में बेरोजगारी दर दिसंबर 2022 में बढ़ कर 10.09 फीसदी पर पहुंच गई है, जो पिछले महीने 8.96 फीसदी पर थी. वहीं, ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर दिसंबर में थोड़ी कम हुई है. यह 7.55 फीसदी से घट कर 7.44 फीसदी हो गई है. इस से पहले नवंबर 2022 में ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 8.00 फीसदी रही थी.
यह घटबढ़ मौसम और खेती पर निर्भर होती है. फसलों की बुवाईकटाई के वक्त ज्यादा लोगों को रोजगार मिल जाता है और बाकी महीने वे फिर बेरोजगार हो जाते हैं. बेरोजगारी के मामले में गांवों से ज्यादा खराब हालत शहरी क्षेत्र के युवाओं की है, जो पढ़ेलिखे हैं मगर बेकार हैं.
बेरोजगारी से आज हर राज्य का युवा परेशान है. पढ़लिख कर भी नौकरी नहीं है. 10-15 हजार की नौकरी के लिए भी एमबीए और इंजीनियरिंग किए नौजवान लाइन में खड़े दिखते हैं और उन्हें वह मामूली नौकरी भी नहीं मिलती है. सरकारी नौकरियों में पद खाली पड़े हैं। मगर सरकार की इच्छा उन्हें भरने की नहीं है. प्राइवेट सैक्टर ने कोरोना महामारी के दौरान और उस के बाद 50 फीसदी स्टाफ कम कर दिया है.
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