लोकसभा चुनाव में भाजपा का ग्राफ गिरने की वजह भले ही मौजूदा प्रत्याशियों से जनता की नाराजगी रही हो, पर नतीजे बता रहे हैं कि प्रदेश सरकार के कई मंत्री और क्षत्रप धराशाई हो गए। भाजपा के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए भूपेन्द्र चौधरी और महामंत्री (संगठन) धर्मपाल भी अपने-अपने क्षेत्रों में जीत नहीं दिला सके। भाजपा में पिछड़ों के चेहरा माने जाने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके प्रयागराज और कौशांबी में भी भाजपा पस्त रही।
परिणामों पर गौर करें तो प्रदेश सरकार में एक दर्जन से अधिक मंत्री अपने-अपने इलाके में भाजपा की सीट नहीं बचा पाए। अलबत्ता ये मंत्री अपनी-अपनी जातियों के रहनुमा होने का दावा ही नहीं करते, बल्कि कई सीटों पर अपनी जातियों के प्रभाव होने की डींग मारते रहे हैं। पर इस बार के चुनाव में न तो इन मंत्रियों की अपनी जाति पर प्रभाव दिखा और न ही इन मंत्रियों का रसूख दिखा। इस चुनाव में भाजपा के कई क्षत्रपों को पार्टी ने अपना स्टार प्रचारक बना रखा था, लेकिन अपने क्षेत्र में ही इनके 'स्टार' ने काम नहीं किया। भाजपा के कई मंत्रियों व विधायकों के साथ बड़े-बड़े ओहदे पर बैठे दिग्गजों के क्षेत्र में कई सांसद लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर हार गए। हालांकि, इन परिणामों के कई अन्य कारण भी रहे हैं, लेकिन क्षेत्र होने के नाते इन क्षत्रपों के प्रभाव की समीक्षा तो होगी ही।
पश्चिम में सबसे ज्यादा नुकसान
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