प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक मल्टी मोडल संपर्क और आर्थिक गलियारे का प्रस्ताव रखा जो दक्षिण-पूर्वी एशिया को यूरोप से जोड़ेगा। यह गलियारा भारत और पश्चिम एशिया से होकर गुजरेगा। उन्होंने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित 20वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए डिजिटल संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया।
सन 2022 में भारत और आसियान के रिश्तों के व्यापक सामरिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचने के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है। सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने दो संयुक्त वक्तव्यों को भी अपनाया। ये वक्तव्य समुद्री सहयोग और खाद्य सुरक्षा से संबंधित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इस सम्मेलन में आपसी संपर्क, व्यापार और डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया।
उन्होंने कोविड महामारी के बाद बदले हुए परिदृश्य में एक नियम आधारित विश्व व्यवस्था बनाने का आह्वान भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मोडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान करते हुए आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश भी की।
दोनों पक्ष एक संयुक्त बयान में, शांति, प्रगति और साझा समृद्धि के लिए आसियान-भारत साझेदारी को लागू करने के लिए ‘कार्य योजना’ के व्यावहारिक कार्यान्वयन के माध्यम से ठोस कार्यों के साथ अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर सहमत हुए।
संयुक्त बयान में कहा गया ब्लू इकानॉमी, अंतरिक्ष और खाद्य सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के अलावा हिंद-प्रशांत में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में भारत की ओर से की गई पहल का समर्थन किया जाएगा।
खाद्य सुरक्षा पर एक अलग संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देकर खाद्य सुरक्षा और पोषण पर सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे।
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