कोयले पर निर्भरता
■ शाम को बिजली की मांग बढ़ती है। और उस समय सौर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती
■ पनबिजली सहित अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़कर 3540 फीसदी होने का अनुमान है
■ कोयला आधारित बिजली की हिस्सेदारी 50 से 55 फीसदी के बीच रहेगी
यह दशक देश में अक्षय ऊर्जा का स्वर्णिम युग रहा है। मार्च 2024 में हरित ईंधन के प्रमुख स्रोत जैसे सौर व पवन ऊर्जा की क्षमता बढ़कर 136 गीगावॉट हो गई जबकि यह मार्च 2014 में 35 गीगावॉट थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड के आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक अक्षय ऊर्जा की क्षमता में जबरदस्त मांग के बावजूद इस साल बिजली की मांग 12 फीसदी ही बढ़ी है।
बिजली ग्रिड में तकनीकी सीमा के कारण अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी सीमित है। इस साल देश में रिकॉर्ड तेज गर्मी पड़ने की आशंका के कारण भारत में ग्रिड फिर कोयले पर आश्रित हो गया है। प्लांट लोड फैक्टर में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 16-18 फीसदी और तापीय ऊर्जा की 70 फीसदी है। इक्रा लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऐंड ग्रुप हेड गिरीश कुमार कदम ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में बिजली उत्पादन मिश्रण में अक्षय ऊर्जा का योगदान (पनबिजली को छोड़कर) करीब 14 फीसदी है जबकि मार्च 2024 तक अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 32 फीसदी थी।
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