हाल में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने सूक्ष्म ऋणदाताओं को अपने मार्जिन को 'अनुपातहीन' तरीके से बढ़ाने को लेकर फटकार लगाई थी और कहा था कि नई व्यवस्था में जहां मार्जिन को लेकर कोई सीमा तय नहीं की गई है, इस तरह के कर्जदाता बढ़ी लागत का बोझ उधार लेने वालों पर तत्काल डाल देते हैं, जबकि लाभ देने में सुस्त रहते हैं।
उद्योग संगठन और एक स्व नियामक संगठन माइक्रोफाइनैंस इंडस्ट्री नेटवर्क के आलोक मिश्र ने कहा, 'पिछले कुछ समय से 1,000 करोड़ रुपये या 500 करोड़ रुपये से कम लोन बुक वाले छोटे कारोबारियों को बैंकों से कर्ज लेने में कठिनाई आ रही है।' मिश्र ने कहा, 'कोविड के दौरान बैंकों द्वारा एमएफआई को कर्ज देने पर सरकार ने सीजीएसएमएफआई के तहत गारंटी मुहैया कराई थी, इसकी वजह से डेट फंड का प्रवाह था। लेकिन उसके बाद बैंकों ने जांच परख शुरू की और छोटे एमएफआई को ऋण का प्रवाह प्रभावित हुआ। 'रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक एनबीएफसी-एमएफआई की 30 सितंबर 2023 तक कुल परिसंपत्ति 1.36 लाख करोड़ रुपये थी। नियामक ने कहा कि एनबीएफसी-एमएफआई, एनबीएफसी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सेग्मेंट है और हाल के वर्षों में कुल परिसंपत्ति में इनकी हिस्सेदारी बढ़ी है। 2022-23 में एमएफआई ने परिसंपत्तियों में सबसे ज्यादा 30 फीसदी वृद्धि दर्ज की।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि दुनिया की कोई ताकत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को वापस नहीं ला सकती।
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पैंटोमैथ के बीवीएफ ने ली अल्पांश हिस्सेदारी
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम पर देसी फर्में चाह रहीं सीमित अवधि
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त्योहारों से पूर्व अवधि मजबूत रहने के बाद ट्रकों के किराये में अक्टूबर के महीने में कमी आई है।
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