■ नीट को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पास करने वाले तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के बाद ऐसा करने वाला कर्नाटक तीसरा राज्य है।
■ नीट का आगाज 2010 में हुआ था। उसी समय से यह राज्यों के लिए विवाद की वजह बना हुआ है
विवादों से घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को खत्म करने की आवाज एक के बाद एक कई राज्यों से आ रही है। कर्नाटक विधान सभा में भी गुरुवार को इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया। नीट को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पास करने वाले तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के बाद ऐसा करने वाला कर्नाटक तीसरा राज्य है।
कर्नाटक सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि उसे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) के नंबरों के आधार दाखिला देने की अनुमति दी जाए। सीईटी का आयोजन कर्नाटक सरकार करती है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने भी अपने-अपने स्तर पर आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की अनुमति केंद्र से मांगी है।
दोनों राज्यों ने नीट को खत्म करने की मांग की है। दूसरी ओर, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी मांग की है कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट की व्यवस्था को खत्म कर पुरानी व्यवस्था ही लागू की जानी चाहिए।
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