उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक " पिछड़ी हुई हैं। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत के निर्णय में कहा कि अनुसूचित जातियां सामाजिक रूप से विजातीय वर्ग हैं। फैसले में राज्यों को भी चेताया गया है कि उपवर्गीकरण का आधार न्यायसंगत होना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय के फैसले को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। अधिकांश दक्षिणी राज्यों ने इस फैसले का स्वागत किया है, जो अनुसूचित जाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण के लिए संघर्ष कर रही थीं। वाम दलों ने भी सर्वोच्च अदालत के फैसले को स्वागतयोग्य बताया है। केंद्र की राजग सरकार में दो महत्त्वपूर्ण घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों ने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गुरुवार शाम तक इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की थी।
अदालत ने 'ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार' मामले में शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ के 2014 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों (एससी) के किसी उपवर्गीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे अपने आप में स्वजातीय समूह हैं।
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'तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख नहीं, ईमेल या पत्र भेजा जाए'
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान आज, राज्य की सीमाओं पर चौकसी बढ़ी, वायनाड लोक सभा क्षेत्र में भी पड़ेंगे वोट
सरकारी बैंकों ने दर्ज की 11% की मजबूत वृद्धि
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'जेनको को सूचीबद्ध करें राज्य
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विल्सन ऐंड ह्यूज ने कॉक्स ऐंड किंग्स की परिसंपत्ति, ब्रांड का किया अधिग्रहण
सौदे की रकम का नहीं किया गया खुलासा
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50% तक घटेगी आयात निर्भरता
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गिरावट के बाद इंडसइंड कितना आकर्षक?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) को \"अस्थिर गाड़ी\" करार देते हुए कहा यह कभी स्थिर सरकार नहीं दे सकती।
5 महीने के निचले स्तर के करीब निफ्टी
आय के मोर्चे पर निराशा, विदेशी निवेश निकासी का असर शेयर बाजारों पर बरकरार रहा