■ वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद से इसमें और तेजी देखने को मिली है
■ जेट एयरवेज और गो फर्स्ट के बंद होने और स्पाइसजेट के विमानों की संख्या कम होने के बाद अब केवल इंडिगो और एयर इंडिया समूह के बीच टक्कर
पिछले कुछ साल में तमाम वजहों से विमानन क्षेत्र में मांग बढ़ी है मगर होड़ कम होने के कारण किराये में भी तेजी आई है। करीब पांच साल पहले यानी 2019 में 55.2 फीसदी हवाई मार्ग ऐसे थे, जहां होड़ ही नहीं थी और एक ही कंपनी की उड़ानें आती-जाती थीं। लेकिन अप्रैल 2024 में ऐसे मार्ग बढ़कर 69.2 फीसदी हो गए। मतलब साफ है कि इस साल अप्रैल तक दो या दो से अधिक विमानन कंपनियां कुल 1,083 घरेलू मार्गों में से महज 30.8 फीसदी पर ही आपस में होड़ कर रही थीं। विमानन विश्लेषक फर्म सिरियम के आंकड़ों से यह पता चला है, जिन्हें बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी देखा है।
होड़ घटने के साथ ही विमानन कंपनियां किराये भी लगातार बढ़ाने लगीं। कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद से किराये में अधिक तेजी दिखी है । देश के सबसे व्यस्त मार्ग दिल्ली-मुंबई की बात करें तो इस मार्ग पर अप्रैल 2019 से अप्रैल 2023 के बीच औसत हवाई किराया 20.5 फीसदी गिरा मगर पिछले साल किराये में 34.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह दिल्ली से बेंगलूरु के लिए इकॉनमी श्रेणी का औसत हवाई किराया एक साल में ही 53.1 फीसदी बढ़ गया।
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