गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो 2024-25 विपणन सत्र में 2,275 रुपये प्रति क्विंटल था। इस बढ़ोतरी का संभवतः महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा के एक विश्लेषण के मुताबिक गेहूं, चना, तिलहन और मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का महंगाई पर कुल मिलाकर असर साल के दौरान 0.18 से 0.20 प्रतिशत रहने की संभावना है।
रबी सीजन में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन होता है। एक दशक में यह दूसरा मौका है जब समर्थन मूल्य करीब 7 प्रतिशत बढ़ा है। 2024-25 विपणन वर्ष में बढ़ोतरी 7.06 प्रतिशत थी।
हालांकि इस पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब 2024-25 विपणन सत्र में लगातार दूसरी बार केंद्रीय पूल में गेहूं की खरीद लक्ष्य के मुताबिक नहीं हो पाई है। में
किसानों ने अपने गेहूं की बिक्री आधिकारिक खरीद व्यवस्था के तहत करने के बजाय निजी कारोबारियों को करने को तरजीह दी, जिससे लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। निजी कारोबारी बेहतरीन कीमत की पेशकश कर रहे हैं।
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असैन्य परमाणु करार पर काम जारी
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सलिवन से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर
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वर्ष 2025 के लिए तीन तमन्नाएँ
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हिचकोले खाती भारत की आर्थिक वृद्धि की गाड़ी
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चालू वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान बैंकों की ट्रेजरी आय कम रहने की संभावना है, क्योंकि तिमाही के अंत में बेंचमार्क यील्ड में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है।
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