भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल में सार्वजनिक तौर पर सीना चौड़ा कर पिछले कुछ वर्षों में मुद्रा विनिमय दरों में स्थिरता का जिक्र किया। क्या यह वाकई ऐसी उपलब्धि है जिस पर आरबीआई इतरा सकता है? कंप्यूटर क्रांति की भाषा में पूछें तो यह खूबी है या खामी? आइए, पहले तथ्यों पर विचार करते हैं।
सबसे ऊपर दर्शाएं गए ग्राफ (रुपया-डॉलर की चाल) में एक सपाट जगह दिखती है जहां अमेरिकी डॉलर और रुपये की विनिमय दर जाकर लगभग ठहर जाती है यानी इसमें हलचल कम हो जाती है। सबसे नीचे दर्शाएं ग्राफ में दीर्घकालिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण दर्शाया गया है। आखिरी बार 2006 में यह सपाट जगह देखी गई थी। एक लंबी अवधि तक विनिमय दर सरकारी नियंत्रण में रखने के बाद भारत ने मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बड़ा कदम उठाया। अब एक बार फिर अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण मूल्य अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी नियंत्रण की जद में आ गया है।
वर्ष 1994-2044 के बीच की अवधि के नीति निर्धारकों ने सरकार नियंत्रित दर से बाजार निर्धारित दर की तरफ कदम क्यों बढ़ाया जो हरेक दिन बदलती रहती है? इसका पहला पहलू बाजार अर्थव्यवस्था का महज बुनियादी तर्क है। बाजार में प्रत्येक दिन आपूर्ति एवं मांग के बीच खेल चलता रहता है जिससे मूल्य निर्धारण होता रहता है। मुल्य नीतिगत निर्णयों के केंद्र में नहीं होता है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर विचार करते हैं। थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि बाजार में कुछ कारणवश पेंसिल की कीमत बढ़ जाती है।
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राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति खन्ना को दिलाई शपथ
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सोमवार को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
व्यापार समझौतों का पुनर्परीक्षण
गत सप्ताह नई दिल्ली में एक औद्योगिक संस्था के मंच से बोलते हुए सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यम ने इस बात की हिमायत की कि भारत को बहुपक्षीय व्यापार समझौतों में शामिल होने पर विचार करना चाहिए। वह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) और प्रशांत पार साझेदारी के लिए व्यापक एवं प्रगतिशील समझौते (सीपीटीपीपी) का जिक्र कर रहे थे।
एसबीआई के दिए जाने वाले ऋण में होगी वृद्धि
एसबीआई को वित्त वर्ष 25 में ऋण बही खाते में 14-16 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान
आईआरएफसी ने जुटाया धन
7.14 प्रतिशत की कूपन दर से 15 साल की परिपक्वता वाले बॉन्ड से 1,415 करोड़ रु. जुटाए
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मारुति ने पेश की चौथी पीढ़ी की डिजायर
भारतीय दवा बाजार में 6 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि
भारतीय औषधि बाजार (आईपीएम) में अक्टूबर 2024 के दौरान 6.1 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि दर्ज की गई है और प्रमुख उपचारों में अच्छी मूल्य वृद्धि देखी गई है। बाजार अनुसंधान निकाय फार्मारैक की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
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झारखंड विधान सभा चुनाव: पहले चरण में 43 सीटों पर बुधवार को होगा मतदान
अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद बढ़ता जा रहा एसपी आईईएफ
सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) के निदेशक एलेक्सी वाल्कोव ने कहा कि रूस पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद एसपी आईईएफ में प्रतिभागियों और कारोबारियों की संख्या बढ़ रही है। एसपी आईआईएफ को दावोस के विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का समकक्ष संगठन माना जाता है।
अभी कमीशन वापस लेने की योजना नहीं
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने नए सरेंडर मूल्य मानदंडों के अनुसार अपने वितरकों के लिए कमीशन संरचना में बदलाव किया है, लेकिन अभी तक कोई कमीशन वापस लेने की योजना (क्लॉबैक) शुरू नहीं की गई है और इसे शुरू करने की कोई योजना भी नहीं है। शुक्रवार को कंपनी परिणाम के बाद विश्लेषकों के साथ बातचीत में एलआईसी के प्रबंधन ने यह जानकारी दी।