इसका मकसद अपने सभी नागरिकों को बेहतर और उच्च गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आर्थिक संपन्नता हासिल करना है (यद्यपि कई मीडिया रिपोर्ट इस तथ्य को समझने में नाकाम रहीं और वे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एवं विश्व रैंकिंग में सुधार वाले उसी पुराने ढर्रे को विकसित भारत के पैमाने के तौर देखती रहीं)। यदि समग्र रूप में देखें तो अब चर्चा एक छोटे वर्ग की तरक्की के दम पर विश्व रैंकिंग में स्थान बनाने के बजाय सभी भारतीयों को कुशल एवं योग्य बनाकर उनकी प्रतिभा को देश हित में इस्तेमाल करने की तरफ मुड़ गई है।
नि:संदेह हमारी विश्व रैंकिंग एक बड़ी उपलब्धि है, जो बहुत ही गर्व की बात है, लेकिन इसी से संतुष्ट होकर बैठ जाना और यह कहना कि पुरानी परिपाटी पर चलने के अलावा अब कुछ और करने की जरूरत नहीं है तथा कहावत के अनुरूप इस दृष्टिकोण को नकारना कि ‘सोने से पहले हमें अभी भी बहुत कुछ करना है’ बहुत बड़ी भूल होगी।
हालिया वित्तीय तिमाही के समाप्त होने के बाद कई कारोबारी सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें ‘ओआर की निरंकुशता’ (प्रबंधन गुरु सीके प्रह्लाद द्वारा गढ़ा गया वाक्यांश) पर काफी चर्चा हुई। एक वर्ग का मानना है कि दूसरों के इस तथ्य कि ‘बहुत अधिक संख्या में जीडीपी डॉलर एकत्र करके और इसी आधार पर आगे बढ़ने से हमारा कितना विकास होगा और कौन सी रैंक हासिल होगी’ के बजाय अपनी क्षमता को पहचान कर सही दिशा में काम करना एकमात्र सत्य है।
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केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
वर्ष 2024 पूरी दुनिया के लिए उठापटक भरा रहा है। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सनसनीखेज चुनाव अभियान और राष्ट्रपति पद पर दोबारा निर्वाचन, पश्चिम एशिया में हमलों और जवाबी हमलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयासों के दरम्यान वैश्विक संबंधों की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई। देशों की कूटनीतिक ताकत कसौटी पर कसी गई और दुनिया एक नए इतिहास की साक्षी बन गई।
स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?
वर्ष 2025 में ऐसी वृहद नीतियों की आवश्यकता होगी जो घरेलू मांग को सहारा तो दें मगर वृहद वित्तीय स्थिरता के सामने मौजूद जोखिमों से समझौता बिल्कुल नहीं करें। बता रही हैं सोनल वर्मा
विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।