प्रजनन दर बढ़ाए बिना कैसे हल हो आबादी का सवाल?
Business Standard - Hindi|December 07, 2024
हमें गिरती जन्मदर की समस्या का हल तलाशना चाहिए मगर इसके लिए महिलाओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने हेतु प्रोत्साहित करने के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए। बता रहे हैं आर जगन्नाथन
आर जगन्नाथन

जब से राजनेताओं और बुद्धिजीवियों ने इस सत्य को समझा है कि "जनांकिकी ही नियति है", तब से वे जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। यूरोप और अमेरिका में उन्होंने अवैध प्रवासियों का आगमन रोककर ऐसा करने का प्रयास किया क्योंकि प्रवासियों के कारण उनकी जनांकिकी बिगड़ रही है। भारत में हम केवल कुल प्रजनन दर (टीएफआर) बढ़ाकर ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं। प्रति महिला 2.1 की कुल प्रजनन दर को आबादी के स्तर को स्थिर रखने के लिए उचित माना जाता है।

अक्टूबर में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में घटती टीएफआर की बात कहते हुए संकेत दिया कि वे परिवारों को और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की ताजा रिपोर्ट तथा ऐसी ही अन्य रिपोर्ट के मुताबिक जहां तमिलनाडु की टीएफआर 1.8 और आंध्र प्रदेश की 1.7 है वहीं बिहार 3 की टीएफआर के साथ सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश और झारखंड की टीएफआर क्रमशः 2.4 और 2.3 है। इससे संकेत मिलता है कि बड़ी आबादी वाले हिंदी प्रदेशों में भी दर घट रही है। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि महिलाओं को तीन बच्चे पैदा करने चाहिए। हालांकि उन्होंने खुलकर यह नहीं कहा, लेकिन वह शायद मुस्लिमों की तुलना में हिंदुओं की कम होती प्रजनन दर की बात कर रहे थे।

दक्षिण के राज्यों की बात करें तो अगली जनगणना और परिसीमन के बाद उन्हें लोक सभा में कुछ सीटें गंवानी होंगी और वहां जन्मदर बढ़ाना प्राथमिकता नजर आ रहा है। यह कारगर नहीं होने वाला। महिलाएं केवल कुछ लाभ पाने या राजनीतिक वजहों से अधिक बच्चे नहीं पैदा करना चाहेंगी। जन्म दर में कमी आनी तब शुरू होती है जब आर्थिक हालात सुधरते हैं और महिलाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार मिलते हैं। जैसे-जैसे आर्थिक स्थिति सुधरती है, बच्चों को पालने का खर्च भी बढ़ता है क्योंकि स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं महंगी होती हैं। ऐसे में केवल नकदी या मातृत्व अवकाश से बात नहीं बनेगी।

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM BUSINESS STANDARD - HINDIView all
केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
Business Standard - Hindi

केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।

time-read
3 mins  |
December 26, 2024
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
Business Standard - Hindi

आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।

time-read
2 mins  |
December 26, 2024
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
Business Standard - Hindi

वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा

भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।

time-read
5 mins  |
December 26, 2024
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
Business Standard - Hindi

प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल

भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।

time-read
2 mins  |
December 26, 2024
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
Business Standard - Hindi

2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर

वर्ष 2024 पूरी दुनिया के लिए उठापटक भरा रहा है। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सनसनीखेज चुनाव अभियान और राष्ट्रपति पद पर दोबारा निर्वाचन, पश्चिम एशिया में हमलों और जवाबी हमलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयासों के दरम्यान वैश्विक संबंधों की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई। देशों की कूटनीतिक ताकत कसौटी पर कसी गई और दुनिया एक नए इतिहास की साक्षी बन गई।

time-read
4 mins  |
December 26, 2024
Business Standard - Hindi

स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?

वर्ष 2025 में ऐसी वृहद नीतियों की आवश्यकता होगी जो घरेलू मांग को सहारा तो दें मगर वृहद वित्तीय स्थिरता के सामने मौजूद जोखिमों से समझौता बिल्कुल नहीं करें। बता रही हैं सोनल वर्मा

time-read
5 mins  |
December 26, 2024
विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
Business Standard - Hindi

विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन

टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।

time-read
5 mins  |
December 26, 2024
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
Business Standard - Hindi

ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग

भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है

time-read
2 mins  |
December 26, 2024
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
Business Standard - Hindi

अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं

अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी

time-read
2 mins  |
December 26, 2024
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
Business Standard - Hindi

ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं

इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।

time-read
3 mins  |
December 26, 2024