महज तीन साल पहले तक देश में ड्रोन बनाने और उन्हें चलाने की बात कोई सोच भी नहीं सकता था। मगर तब से अब तक काफी बदलाव आया है और देश ड्रोन तकनीक और नवाचार का नया अड्डा बन गया है। अब देश इस क्षेत्र में प्रगति के अगले चरण के लिए तैयार है।
अगस्त 2021 में बने ड्रोन नियम देश के ड्रोन उद्योग के लिए सुधारों की पहली पीढ़ी साबित हुए। मगर इस उपलब्धि के साथ अलग तरह की चुनौतियां आईं और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी भी है। वर्षों की चर्चा और ड्रोन क्षेत्र को खोलने की मांग के बीच नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च 2021 में ड्रोन नियमन तैयार किए। इन नियमों का लक्ष्य निजी उपक्रमों को बढ़ावा देना था मगर उन्होंने बहुत अधिक बंदिशें भी लगाईं, जिनसे उद्योग की वृद्धि का रास्ता बाधित होने का खतरा पैदा हो गया।
कहानी में असली और निर्णायक मोड़ तब आया, जब मोदी ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने कई बैठकें कीं, जिनसे मंत्रालयों, सुरक्षा एजेंसियों और इससे जुड़े दूसरे अहम पक्षों को साथ लाने में मदद मिली और अधिक प्रगतिशील रुख के साथ तालमेल पक्का हुए। मार्च 2021 के नियमों की जगह अगस्त 2021 के नियम लागू किए गए और उसके बाद इतिहास बन गया।
देश का 90 फीसदी से अधिक हवाई क्षेत्र पहले ही ड्रोन के संचालन के लिए अनुकूल घोषित कर दिया गया और मानवरहित विमान प्रणाली यातायात प्रबंधन (यूटीएम) फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी गई। उद्यमियों को ऊर्जा देने और प्रोत्साहित करने के लिए भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का आयोजन किया गया। इससे ड्रोन के समूचे तंत्र के भीतर नेतृत्व और नवाचार को बढ़ावा मिला। सरकार ने ड्रोन क्षेत्र को खोलने के साथ ही उनसे इस्तेमाल को मुख्य धारा में लाने के मकसद से परिवर्तनकारी कदम शुरू किए। मिसाल के तौर पर स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन का इस्तेमाल कर 2.90 लाख से अधिक गांवों का सर्वेक्षण किया गया और नक्शे तैयार किए गए। इस तरह लाखों लोगों को उनकी जमीन या संपत्ति के स्वामित्व के प्रमाणपत्र दिए गए, जो पहले उनके पास नहीं थे। इसी तरह नवंबर 2021 में बड़ी खदानों के लिए ड्रोन सर्वेक्षण अनिवार्य कर दिया गया। इससे सर्वेक्षण अधिक कारगर हुआ है और जवाबदेही भी बढ़ी है।
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