टूलकिट है बीबीसी
Panchjanya|05 February 2023
औपनिवेशिक मानसिकता वाला बीबीसी गोधरा के बाद हुए दंगों पर एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दोबारा दुष्प्रचार को हवा दे रहा है। इस डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनुक और सांसद तक खारिज कर चुके हैं। अगले वर्ष भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। यह तो शुरुआत है...
चंद्र प्रकाश
टूलकिट है बीबीसी

ये हैं भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान

  • बीबीसी, ब्रिटेन
  • अलजजीरा, कतर
  • न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिका
  • वॉशिंगटन पोस्ट, अमेरिका
  • वॉलस्ट्रीट जर्नल, अमेरिका
  • दगार्जियन, ब्रिटेन
  • ग्लोबल टाइम्स, चीन

कहावत है-रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं गई। विश्व की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति ब्रिटेन के साथ इन दिनों कुछ यही हो रहा है। बिजली और गैस के बिल लगभग दोगुना बढ़ चुके हैं। अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। देश को संभालने के लिए भारतीय मूल के एक हिंदू को प्रधानमंत्री पद पर स्वीकार करना पड़ा। स्पष्ट रूप से इसकी ही खीझ है कि ब्रिटेन के सरकारी चैनल बीबीसी ने दो भागों में एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया। इसका उद्देश्य गुजरात दंगों को लेकर उस दुष्प्रचार को दोबारा हवा देना था, जिसकी पोल बहुत पहले खुल चुकी है। लेकिन बीबीसी ऐसा क्यों कर रहा है? उसके पीछे कौन-सी शक्तियां हैं? इस बात को समझने के लिए बीबीसी के इतिहास को समझना होगा, लेकिन पहले बात वर्तमान विवाद की।

डॉक्यूमेंट्री में क्या है? 

'इंडियाः द मोदी क्वेश्चन' नाम की इस डॉक्यूमेंट्री में वर्ष 2002 में हुए गोधरा हत्याकांड और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों की कहानी है। डॉक्यूमेंट्री में यह सिद्ध करने का प्रयास किया गया है कि गोधरा कांड के बाद निर्दोष मुसलमान 'हिंदू अतिवाद' का शिकार हुए और तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार ने जान-बूझकर पुलिस कार्रवाई को रोका। बीबीसी ने यह दावा ब्रिटिश विदेश विभाग की एक अप्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर किया है। यह रिपोर्ट ब्रिटिश विदेश विभाग के एक राजनयिक द्वारा 'लिखी' गई है। अर्थात् यह उसका निजी विचार है। संभवतः यही कारण था कि ब्रिटिश विदेश विभाग ने इसे प्रकाशन योग्य नहीं समझा।

आपत्तियों का आधार 

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