इस समय देश में उस गंगा विलास जलयान की बड़ी चर्चा हो रही है, जो वाराणसी से चलकर डिब्रूगढ़ की ओर बढ़ रहा है। कुछ लोग, विशेषकर विपक्षी नेता इसे अमीरों का जलयान बताकर इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन जलयान पर सवार विदेशी पर्यटकों का जिस तरह गरीब लोग ही स्वागत कर रहे वह बहुत कुछ संकेत कर रहा है। अभी पिछले दिनों यह जलयान सुल्तानगंज (बिहार) में था। इस पर सवार पर्यटक वहां की एक पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध अजगैबीनाथ मंदिर पहुंचे तो उनका स्वागत भगवा पटका देकर और तिलक लगाकर किया गया। ये विदेशी पर्यटक पहाड़ी पर उत्कीर्ण चित्रों को देखकर दंग रह गए। इन लोगों ने उन चित्रों के बारे में हर तरह की पूछताछ की। इस दौरान वहां स्थानीय लोगों की भीड़ लगी रही। उस दिन सुल्तानगंज बाजार में अच्छी चहल-पहल रही। स्पष्ट है कि उस दिन इस कस्बाई नगरी की आर्थिक गतिविधि बहुत अच्छी रही। इस जलयान को चलाने का यही उद्देश्य है।
उल्लेखनीय है कि गत 13 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर इस जलयान को रवाना किया। इस लेख के लिखे जाने तक यह जलयान मुर्शिदाबाद को पार कर चुका था। यह 51वें दिन डिब्रूगढ़ (असम) पहुंचेगा। यह अपनी तरह का पहला जलयान है, जो विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, असम में गुवाहाटी और बांग्लादेश में ढाका जैसे प्रमुख शहरों समेत 50 पर्यटन स्थलों के दर्शन कराएगा।
जलयान पर 39 विदेशी पर्यटकों के साथ उसके कर्मचारी और अन्य अधिकारी सवार हैं। 51 दिन के लिए एक यात्री का खर्च लगभग 25 लाख रुपये है। इसके बावजूद मार्च, 2024 तक इस जलयान के सारे कमरे आरक्षित हो चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जलयान को लेकर पर्यटकों में कैसी दीवानगी है। इसमें सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं हैं।
ऐसे आया विचार
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