गोपाष्टमी सनातन संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से गायों और ग्वालों के सम्मान में कार्तिक शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है और उसे अत्यंत पवित्र माना गया है। यह गायों का आदर-पूजन कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह गायों के संरक्षण-संवर्धन की प्रेरणा देता है।
ऐसे करें गायों का पूजन
नारद पुराण में आता है कि 'कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में गोपाष्टमी का व्रत बताया गया है। उसमें गौओं की पूजा करना, गोग्रास देना, गौओं की परिक्रमा करना, गौओं के पीछे-पीछे चलना और गोदान करना आदि कर्तव्य हैं। जो समस्त सम्पत्तियों की इच्छा रखता हो उसे उपरोक्त कार्य अवश्य करने चाहिए।'
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।