कौल सैंटर का जिक्र आते ही जेहन में कौंध जाते हैं हैडफोन लगाए, धाराप्रवाह अंगरेजी बोलते, खास शैली व अंदाज में ग्राहकों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, उन्हें उत्पाद की खूबियों का यकीन दिलाने में माहिर युवा लड़केलड़कियों के चेहरे.
कौल सैंटर को ले कर हमेशा मन में एक ही धारणा व्याप्त रहती है कि कालेज से निकले छात्रों को पैसा कमाने के लिए पार्टटाइम नौकरी करने की चाह यहां खींच लाती है. कौल सैंटरों में मिलने वाली सुविधाएं व पैसा दोनों उन्हें चकाचौंध करते हैं. यही वजह है कि नियमित काम के घंटे न होने पर भी युवाओं की एक बड़ी जमात को वहां काम करते देखा जा सकता है.
मगर अब कौल सैंटर का स्वरूप बदलने लगा है. किसी भी कौल सैंटर में अब आसानी से विवाहित महिलाओं को भी कंप्यूटर के आगे कान पर हैडफोन लगाए ग्राहकों से बातचीत करते देखा जा सकता है. विवाहित महिलाओं द्वारा कौल सैंटर में काम कराने का ट्रैंड मार्च, 2004 से शुरू हुआ था.
हालांकि पहले भी विवाहित महिलाएं काम कर रही थीं पर उन की तादाद ज्यादा नहीं थी. गृहिणियों को ले कर इस तरह का प्रयोग पहली बार विप्रो कंपनी ने किया. इस क्षेत्र में महिलाओं का दखल अभी सिर्फ 5 फीसदी तक ही है, लेकिन इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि इस में अप्रत्याशित वृद्धि होने की संभावना है.
एक अनोखा प्रयोग
अभी तक कौल सैंटर में कार्य करने वालों की उम्र 18 से 25 साल के बीच निर्धारित होती थी. विकसित उम्र के इस दौर में काम सीखने के बाद कंपनी बदलने का औसत इन के बीच पिछले वर्ष तक 33 फीसदी तय था. इस साल यह बढ़ कर 40 फीसदी पहुंच गया है. एक से दूसरी कंपनी में पलायन के बढ़ते इस औसत पर लगाम लगाने के लिए अब विवाहित महिलाओं को हैडफोन पहनाया जा रहा है खासकर 5 आईटी कंपनियों - विप्रो, आईगेट, सौफ्टवेयर पार्क, जी कैपिटल, और ई फंड्स ने एक और नया प्रयोग इस में किया है कि वे उन महिलाओं को अधिक प्रमुखता देंगे जिन के बच्चे स्कूल जाने लायक हों तथा उन का संयुक्त परिवार हो.
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