Panchjanya - 11 July 2021
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सांच को आंच - देश में 2014 से हुए राजनीतिक बदलाव के बाद निरंतर यह बात देखने में आ रही है कि किसी घटना पर कोई खबर आती है, उससे एक आख्यान (नैरेटिव) बनता है और कुछ समय बाद पता चलता है कि वह खबर झूठी थी या फिर उस खबर में आधा सत्य छिपा लिया गया जिससे शेष आधे सत्य का कोई और ही अर्थ निकला। जब इस पर सवाल उठे तो झूठ फैलाने वालों के तंत्र से एक फैक्ट चेकर निकला जिसने खबरों की पड़ताल तथ्यों के आधार पर करके सत्य की स्थापना का दम भरा। परंतु जब सच की रखवाली का दम भरने वाले ‘फैक्ट चेकर’ झूठ फैलाते मिलें, नामी मीडिया संस्थानों की कई खबर लगातार झूठी निकल रही हों तो पत्रकारिता को धक्का लगना ही है। चिंता इस बात पर भी कि इसके बावजूद भारत में यह हो रहा है और इस सब से बेपरवाह, सबका ‘धंधा’ चल रहा है। इस धंधे का पदार्फाश करने का बीड़ा उठाया पीआईबी ने और एक मंच पीआईबी फैक्ट चेकर तैयार किया। इसमें फेक खबरें और इनके सच को ट्विटर पर जारी किया जाने लगा। इससे बड़े-बड़े मीडिया संस्थान जनता के सामने बेनकाब होने लगे। हालांकि इस दिशा में अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है क्योंकि ये फेक न्यूज कोई मानवीय त्रुटि नहीं हैं बल्कि देश के विरुद्ध एक षड्यंत्र है। पाञ्चजन्य की विशेष तथ्यान्वेषी रिपोर्ट
Panchjanya Magazine Description:
出版社: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
カテゴリー: Politics
言語: Hindi
発行頻度: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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