Nandan - November 2019
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Nandan, HT Media’s monthly Children Magazine is more than 47 years old brand. The magazine was started in November 1964 in the memory of Pandit Jawahar Lal Nehru, with its first issue being dedicated to the late Prime Minister. Over the years it has developed a strong bond with its readers and is extremely popular among children and their families in India and abroad. Taking an edge over other children magazines, Nandan provides a mix of traditional and modern stories, poems, interactive columns, interesting facts and many educative columns, leading to wholesome development of our children. It keeps our children abreast with our cultural ethos, exposes them to latest happenings in and around world and engages them into numerous fun activities, shaping their mind and behavior in a positive way.
तेनालीराम- कैसा नाटक
तेनालीराम पानी में डूबा घर वालो का रो रो कर बुरा हाल
1 min
बहुत कुछ सिखाते हैं हमारे घर के बडे
जिन बच्चों को दादा-दादी और नाना-नानी का साथ मिलता है, वे बड़े खुशकिस्मत होते हैं। अधिकांश बच्चों को तो साल में एक-दो बार ही उनसे मिलने का मौका मिल पाता है। पर क्या तुम्हें पता है, घर के बड़ों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उनका अनुभव हमारे लिए जादू का पिटार होता है।
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जादू थियेटर का
नाटक बच्चों के जीवन में बहुत जरूरी है। जीवन में सफल होने के कई गुण बच्चे खेल-खेल में नाटक में भाग लेते हुए सीख जाते हैं। नाटक बच्चों को संयम के साथ जीवन में आगे बढ़ने की राह दिखाता है। अब बच्चे बढ़-चढ़कर नाटकों में भाग लेने लगे हैं, जो नाटकों के फिर से लोकप्रिय होने की निशानी है। स्कूलों में भी नाटक करने के लिए ह बच्चों को प्रोत्माहित करना चाहिए।
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बडा हो गया आरव
आरव अब बड़ा हो गया है, बस दस साल की उम्र में उसने जिम्मेदारी सिख ली।
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गिन्नी बनी हीरोइन
गिन्नी एक नन्ही सी खरगोश थी। अपनी मधुर बातों से वह सुंदरवन में सबका मन मोह लेती, और शायद इसी वजह से वो अब हीरोइन बन गई।
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रोहन का मन
दादाजी के अस्सीवें जन्मदिन की पार्टी चल रही थी। शहर के भीतरी हिस्से में स्थित घर के खूबसूरत बगीचे में गहमा-गहमी के माहौल में दादाजी सबसे बधाइयां ले रहे थे।
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इनसे मिलिए - वंश सायानी
वंश धारावाहिक 'बालवीर-2' में मुख्य भूमिका निभा रहा है । इस धारावाहिक का थीम है सबकी मदद करना और सबकी भलाई करना। वंश की इच्छा है कि काश, असल जिंदगी में भी हमारे देश में ऐसा ही हो जाए।
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चूहों की दावत
एक बांस के जंगल में वर्ष में एक बार ही वनफूल खिलता था, जिसे एक दिन चाऊ और माऊ चूहे दंपती ने देखा | उसे तोड़कर वे गणेशजी के मंदिर में जाकर श्रद्धा से चढ़ा आए। और फिर !
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कैक्टस को मत समझो कम
कैक्टस जाति के भिन्न - भिन्न प्रजातियां हैं।
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लाला जलेबी वाला
लाला जी की जलेबिया और उनकी कहानियां
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बाल दिवस
बाल दिवस की तैयारिया और बच्चो का प्रतियोगिताएं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना।
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साइबर दुनिया -टेक्नो अंकल से पछो
गूगल अलर्ट कैसे सेट करे।
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रामू की बहन
उसका घर का नाम बालादत्त था। जब वह आया, तो दीपा की मां ने मुसकराकर कहा कि ऐसा नाम इस घर में नहीं चलेगा दीपा के दादा का नाम भी तो कुछ ऐसा ही था। बालगोविंद और बालादत्त में क्या फर्क है ?
1 min
विदेशों में थियेटर करते बच्चे
विदेशों में बच्चों के बीच थियेटर का एक अलग स्थान है। वहां चार साल की उम्र से ही बच्चे थियेटर में हिस्सा लेना और थियेटर देखना शुरू कर देते हैं। वैसे जर्मनी, अमेश्का, रूस जैसे देशों में तो थियेटर स्कूल की अन्य गतिविधियों में प्रमुखता से शामिल है। कहीं पर बच्चे की छुट्टी के बाद नाटक का अभ्यास करते हैं, तो कहीं पर गर्मियों की छुटिटयों में किसी थियेटर गुप में दाखिला लेते हैं। यही वजह है कि इन देशों में पूरे साल बच्चों के लिए थियेटर फेस्टिवल चलते रहते हैं। आओ, जानते हैं कि अलग-अलग देशों में किस तरह के थियेटर बच्चों में प्रचलित हैं।
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छोटा मन
मीता बहुत छोटी थी। वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी परन्तु वह दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची जैसी ही लगती थी। इसी वजह से उसके कोई दोस्त नहीं बनते थे। पर मीता का मानना था की 'शिक्षा ही मेरा बल है '
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कहानी लिखो - चंपू बंदर की सीख
एक बंदर दे गया बच्चो को सीख।
1 min
मुर्ग की लाल कलगी
कुकडू मुर्गा की लाल कलगी में आग है छुओगे तो जल जाओगे।
1 min
सच्चा कलाकार
रूपसेन की कला और उसकी होशियारी
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Nandan Magazine Description:
出版社: HT Digital Streams Ltd.
カテゴリー: Children
言語: Hindi
発行頻度: Monthly
Nandan, HT Media’s monthly Children Magazine is more than 47 years old brand. The magazine was started in November 1964 in the memory of Pandit Jawahar Lal Nehru, with its first issue being dedicated to the late Prime Minister. Over the years it has developed a strong bond with its readers and is extremely popular among children and their families in India and abroad. Taking an edge over other children magazines, Nandan provides a mix of traditional and modern stories, poems, interactive columns, interesting facts and many educative columns, leading to wholesome development of our children. It keeps our children abreast with our cultural ethos, exposes them to latest happenings in and around world and engages them into numerous fun activities, shaping their mind and behavior in a positive way.
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