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पपीते से बना पपेन काम का
किसी भी फसल से ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना किसानों का खास मकसद होता है. यही बात पपीते पर भी लागू होती है. पपीते के फलों व दूध की अलगअलग अहमियत होती है. पपीते का सुखाया हुआ दूध 'पपेन' कहलाता है, जो सफेद या हलके क्रीम रंग और हलकी तीखी गंध वाला पाउडर होता है. बाजार में यह पपायोटिन, पपायड, कैरायड वगैरह नामों से जाना जाता है.
फार्म एन फूड को मिला देश का सब से बड़ा कृषि पत्रकारिता सम्मान
देश के सब से बड़े प्रकाशन समूह दिल्ली प्रैस की पत्रिका 'फार्म एन फूड' में लेखक, कृषि पत्रकार बृहस्पति कुमार पांडेय को भारत सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रिंट मीडिया हिंदी की श्रेणी में दिए जाने वाले कृषि अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए 'चौधरी चरण सिंह पुरस्कार 2019' से सम्मानित किया गया है.
मशरूम से बढ़ेगी रोग प्रतिरोधकता
कोरोना महामारी के चलते देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया परेशान है. अब तक इस वायरस ने लाखों लोगों की जान ले ली है, पर लाखों लोग इस बीमारी से लड़ कर अस्पताल से वापस घर आ चुके हैं
धान में लगने वाले कीटों और उन का प्रबंधन
.खरीफ फसलों में धान की खेती खास माने रखती है. देश के अनेक हिस्सों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल वगैरह में काफी मात्रा में धान की खेती की जाती है.
प्राकृतिक आपदाओं के समय पशु प्रबंधन
देश में गरीबी उन इलाकों में सब से ज्यादा है, जो प्राकृतिक आपदाओं के लिए अधिक संवेदनशील है : उत्तर प्रदेश, उत्तरी बंगाल और उत्तरपूर्वी क्षेत्र आदि के बाढ़, भूकंप ग्रस्त क्षेत्र, छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसान कुल पशुधन का 70 फीसदी के मालिक हैं.
रोग प्रतिरोधकता शरीर के लिए है जरुरी
बहुत ही साधारण शब्दों में कहें, तो शरीर में रोग पैदा करने वाले हानिकारक कीटाणुओं को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश न करने देने की क्षमता को ही रोग प्रतिरोधकता कहते हैं.
सघन खेती प्रणाली में लाभकारी जैविक खेती
हरित क्रांति की शुरुआत के बाद से देश की बेतहाशा बढ़ रही आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेतीबारी में उर्वरकों के इस्तेमाल को भारी बढ़ावा मिला है और हम ने अपने लक्ष्यों को पूरा किया है, खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की है. लेकिन सघन खेती प्रणाली के खतरे बड़े चुनौती भरे हैं, क्योंकि इन से पारिस्थितिकीय संतुलन पर भारी असर पड़ता है.
स्टिकी ट्रैप करे कीटों से सुरक्षा
टमाटर, भिंडी व बैगन में फल छेदक की सूंडी और सफेद मक्खी का प्रकोप दिखता है. इस के लिए 'एनपीवी और वीटी' जैव दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.
आंवला के पौधों में कीट व रोग
औषधीय गुणों से भरपूर फल आंवला में विटामिन सी के अलावा कैल्शियम, फास्फोरस और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इस के फलों की प्रोसैसिंग कर के अनेक तरह के खाद्य पदार्थ जैसे मुरब्बा, कैंडी, अचार, जैम, जूस आदि बनाए जाते हैं. इस के अलावा अनेक दबाओं में भी आंबले का इस्तेमाल होता है.
खेत को उपजाऊ बनाती हरी खाद
फसल उत्पादन और उत्पाद को बबालिटी बढ़ाने के लिए मिट्टी पर कैमिकल खादों का लगातार अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है. जीवांश बाली खादों, जैसे फार्म यार्ड मैन्योर यानी गोबर की खाद, कंपोस्ट च हरी खादों का इस्तेमाल न के बराबर हो रहा है. इस का नतीजा यह है कि खेतों की पैदावारी कूबत लगातार घट रही है.
बेल की खेती
कम पानी वाले इलाकों में खेती करने से सिंचाई में ही काफी पूंजी खर्च हो जाती है, लेकिन ऐसे इलाकों में बेल की खेती आसानी से हो जाती है और बढ़िया मुनाफा भी मिलता है. बेल के पौधों और पेड़ों को काफी कम पानी की जरूरत होती है. इसे हर तरह की मिट्टी में और हर मौसम में उगाया जा सकता है.
टिड्डी दलों का हमला उपाय और बचाव के तरीके
कोरोना वायरस से फैली महामारी का हमला अभी कम भी नहीं हुआ था कि टिड्डी दल के हमले ने कृषि वैज्ञानिकों समेत किसानों को चिंता में डाल दिया है, राजस्थान से मध्य प्रदेश ह्येते हुए उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के हमीरपुर और झांसी में इन के हमले की सूचना मिली है.
श्री विधि से धान की खेती
यह धान की खेती की ऐसी तकनीक है, जिस में बीज, पानी, खाद और मानव श्रम का समुचित तरीके से इंतजाम करना शामिल है, जिस का मकसद प्रति इकाई क्षेत्रफल में ज्यादा से ज्यादा उत्पादकता बढ़ाना है.
सब्जियां सेहत के लिए फायदेमंद
आजकल देश डायबिटीज के मरीज बहुत तेजी से बढ़ते चले जा रहे हैं और इस समय लौकडाउन के चलते लोग घर में हैं, जिस से लोगों के खानपान और रहनसहन में बहुत बदलाव आया है.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
दूसरे अंक में आप ने पढ़ा था : बछिया के जन्म से 26 हफ्ते तक के उस के फीडिंग शैड्यूल में दूध, काफ स्टार्टर, सूखी और हरी घास की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. काफ स्टार्टर को घर पर ही बनाया जा सकता है, जो ज्यादा पौष्टिक व सस्ता पड़ता है. बछिया के 9वें महीने से 24वें महीने तक के उस के खाने में रातिब भी बहुत अहम होता, ताकि वजन सही रहे. अब पढ़िए आगे...
खेती में जल प्रबंधन जरूरी
सब सब से ज्यादा जल यानी पानी की जरूरत खेती में होती है. यही वजह है कि हमारे देश में जमीनी पानी का लैवल लगातार गिर रहा है.
चीनिया केला किसानों का दर्द सुनेगा कौन?
स्वाद और सेहत के लिए मशहूर चीनिया केले की खेती मुश्किल दौर में है और खेती करने वाले किसानों की हालत पतली.
नया भूसा कितना फायदेमंद
किसान अकसर यह शिकायत करते मिल जाते हैं कि जब से उन्होंने नया भूसा खिलाना शुरू किया है, तब से कुछ पशुओं को दस्त लग गए हैं. नए भूसे में ऐसा क्या है, जिस के कारण पशु को दस्त लग जाते हैं? कुछ लोग कहते हैं कि नया भूसा गरमी करता है. गरमीसर्दी कुछ नहीं करता, आज आप को समझाते हैं कि नए भूसे से पशुओं को दस्त क्यों लग जाते हैं.
पोल्ट्री किसानों के लिए सलाह
कोरोना महामारी की वजह से पोल्ट्री उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, इस नुकसान वृद्धि सोशल मीडिया की कई मिथक और गलत धारणाओं के फैलने के कारण हुआ है, जिस का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था. मुरगीपालकों ने इस दौरान ब्रायलर 5 से 10 रुपए किलो और अंडा 1-1.3 रुपए प्रति अंडा बेचा, जबकि 1 किलो ब्रायलर उत्पादन में 72 से 75 रुपए तक लागत आती है और अंडा उत्पादन में 3.25 रुपए की लागत आती है. इस प्रकार पोल्ट्री उद्योग को हुए घाटे ने इस उद्योग को खत्म सा कर दिया है, जिसे हमें फिर से स्थापित करना होगा ताकि उचित कीमत पर मांस व अंडा लोगों को उपलब्ध हो सके.
कोरोना काल में कैसे अपने आप को स्वस्थ और सुरक्षित रखें
इस समय जब कोरोना का कहर हमारे देश समेत पूरी दुनिया में फैल रहा है तो यह बहुत जरूरी है कि हम अपनेआप को और अपने परिवार को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए अपनी दिनचर्या में कुछ जरूरी बदलाव करें.
सब्जी का बीज ऐसे करें तैयार
बीज एक छोटी जीवित संरचना है, जिस में पौधा ऊतकों की कई परतों से ढका हुआ नींद में रहता है और जो सही माहौल जैसे नमी, ताप, हवा और रोशनी व मिट्टी के संपर्क से नए पौधों के रूप में विकसित हो जाता है. भारत में किसान परिवारों की संख्या बहुत सारे पश्चिमी देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है. ऐसे में किसानों को अधिक पैदावार के लिए अच्छी क्वालिटी वाले बीज सही मात्रा में सही समय पर सही कीमतों के साथ मुहैया कराना जरूरी है.
माइक्रोग्रीस उगा कर करें ऐंजौय
देश में अभी लौकडाउन है. महीनेभर का समय गुजर चुका है. लेकिन अभी नहीं लगता कि हाल के दिनों में लौकडाउन से मुक्ति मिल जाएगी.
तो क्या टिड्डी दल सारी हरियाली चट कर जाएगा?
बहरों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज की जरूरत पड़ती है, यह बात शहीद भगत सिंह ने कही थी. चूंकि पर्यावरण संकट की शुरुआती चेतावनियां नजरअंदाज कर दी गईं, इसलिए शायद कुदरत ने भी अपनी आवाज ऊंची कर ली है. कोरोना महामारी, अंफान तूफान के बाद अब टिड्डी दलों का हमला भी लोगों की मुसीबत बढ़ाने के लिए तैयार बैठा है.
आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहा है किसान विजय
आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहा है किसान विजय
गमलों में टैरेस गार्डन बनाने की तकनीक
दुनिया में कई देशों को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने एक महामारी ऐलान कर दिया है.
फसलों के लिए लाभकारी ग्रीष्मकालीन जुताई
गरमी की गहरी जुताई का मतलब तेज धूप में खेत के ढाल के आरपार खास तरह के यंत्रों से गहरी जुताई कर के खेत की ऊपरी परत को गहराई तक खोदना और नीचे की मिट्टी को पलट कर ऊपर ला कर सूरज की तपती किरणों में तपा कर कीटाणुरहित करना है.
समय, धन और ऊर्जा की बचत धान की सीधी बोआई
महामारी कोविड-19 से खेती में श्रमिकों की उपलब्धता कम हुई है. ऐसे में धन, ऊर्जा, मानवशक्ति, पानी की बचत और उत्पादन लागत में कमी कर के अधिक उत्पादन के लिए चावल की सीधी बोआई द्वारा खेती कर किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
किसी भी डेरी की कामयाबी के लिए जरूरी है कि उस में अच्छी दुधारू गाएं हों. दुधारू गाएं बाजार से खरीद कर लाने से बेहतर है कि अपनी खुद की दुधारू गाय तैयार की जाए.
गरमी में अंडा देने वाली मुरगियों का प्रबधन
पशुपालन एवं कृषि संबंधित सारे काम कोरोना वायरस से बचाव के उपायों को ध्यान में रखते हुए जैसे मास्क लगाना, एकदूसरे से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना, हाथों को बारबार साबुन से साफ करना आदि उपायों को ध्यान में रख कर ही करें.* डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी
जूट की उन्नत खेती से बढाएं आमदनी
हमारे देश में खाद्यान्न भंडारण के लिए जूट के बोरों की बेहद कमी के चलते हर साल हजारों टन अनाज बुरी तरह से बरबाद हो जाता है, जबकि आज भी भारत दुनिया के सब से बड़े जूट उत्पादक देश के रूप में मशहूर है. लेकिन हाल के कुछ सालों में देश में जूट की खेती में भारी कमी देखने को मिल रही है, जबकि जूट और उस से बने उत्पादों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हुई है.