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आ गए बचाने वाले रोबोट
आग, बाढ़, चक्रवात,युद्ध, दंगे-फसाद, महामारी..कुछ ऐसी मुसीबतें हैं, जिनमें फंसे लोगों को बचाने और राहत कार्य के लिए काम करना आसान नहीं होता। इसे आसान बना सकते हैं एआई से लैस रेस्क्यू रोबोट। दुनिया के वैज्ञानिक इन्हें बनाने में लगे हैं
क्या होगा जब सोचने-समझने लगेंगी मशीनें
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का पहली बार प्रयोग जॉन मैकार्थी ने 1955 में किया था। तुम्हें विश्वास हो या न हो, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पहले से ही तुम्हारी जिंदगी में मौजूद है। बस, इसके बारे में बातें अब होने लगी हैं। जिंदगी में हमारा कदम- कदम पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सामना होता है। कैसे यह हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है, आओ जानें।
कीचड़ का ज्वालामुखी यानी मड वॉल्केनो
तुमने ज्वालामुखी यानी वॉल्केनो के बारे में तो जरूर सुना होगा। पर क्या तुम्हें पता है कि दुनिया के कई देशों के साथ-साथ अपने देश में भी कुछ मड वॉल्केनो हैं, जिनमें से हर समय कीचड़ निकलता रहता है। चलो देखें कहां पर हैं ये
हरी-भरी दुनिया की सैर
जैसे हम इनसानों की बस्ती में कई तरह के लोग रहते हैं । वैसे ही एक पेड़ कई तरह के जीव जंतुओं का घर होता है । इसीलिए इन पेड़ों में शाम ढले जीव जंतुओं का पूरा एक मोहल्ला मिलेगा तुम्हें । आओ चलें इस मोहल्ले की सैर पर ।
सैंटा का बर्थडे
शाम ढलने लगी थी । अभिनव ने खिड़की से झांककर देखा । उसके दोस्त पार्क में इकट्ठे हो चुके थे । वह भी जल्दी से पार्क में जा पहुंचा ।
होली का हुड़दंग
होली है बहुत प्यारा त्योहार। दुश्मनी भूलकर मस्तानों की टोली निकलती है सभी को इंद्रधनुषी रंगों में रंगने के लिए। सभी मिल-जुलकर खाते हैं मीठे-नमकीन पकवान । कुछ बातों को ध्यान में रखकर की जाए हंसी-ठिठोली, तो कभी रंग में भंग नहीं पड़ता।
सुबह का भूला
आज पीलू गीदड़ की खुशी का ठिकाना नहीं था । उसके नाम से लॉटरी जो निकली थी। उसने अपने साथी, कालू रीछ और झबरे पिल्ले को चंपी होटल में खूब खाना खिलाया। उसने दो दिन बाद मनाए जाने वाले क्रिसमस के लिए केक के साथ मिठाइयां भी खरीदीं ।
सामने वाला घर
जब सामने वाले खाली घर में सामान से भरा ट्रक आकर रुक तो पूर्वा और पूशन को ऐसा लगा, जैसे उनके घर में चोर आ गए लगभग दो सालों से सामने वाला घर खाली था। घर के बाहर बहु बड़ा लॉन था और वहां तरह-तरह के पेड़ थे।
साइबर दुनिया -टेक्नो अंकल से पछो
गूगल अलर्ट कैसे सेट करे।
साधु ने कहा
'चंद्रनगर के विक्रमसिंह पराक्रमी एवं उदार दिल वाले राजा थे। उनका राज्य चंद्रनगर धरती पर स्वर्ग जैसा था। प्रजा बहुत सुखी थी। किसी को कोई भी अभाव न था।
सर्दी में रंग बदलती प्रकृति
वसंत ऋतु के आते ही धरती पर जैसे रंग-बिरंगे फूलों की चादर सी बिछने लगती है। महकते फूल हर किसी को अपनी ओर खींच लेते हैं। आओ जानें कि फूलों की इस मनमोहक दुनिया का क्या है जादू।
सबसे महंगा क्रिसमस ट्री
क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने का रिवाज है । लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री को घंटियों , टॉफी व बॉल इत्यादि से सजाते हैं ।
सब ठीक ही है
तेनालीराम राजधानी से बाहर गया हुआ था । इसी बीच मौका देखकर राजपुरोहित ने राजा कृष्णदेव राय के कान भरे ,
सच्चा कलाकार
रूपसेन की कला और उसकी होशियारी
वे दिन, वे रातें
मां, अपने घर के आंगन मेंक्या पहले था एक कुआं ?और रसोईघर से उठताथा क्या सचमुच कभी धुआं ?
विदेशों में थियेटर करते बच्चे
विदेशों में बच्चों के बीच थियेटर का एक अलग स्थान है। वहां चार साल की उम्र से ही बच्चे थियेटर में हिस्सा लेना और थियेटर देखना शुरू कर देते हैं। वैसे जर्मनी, अमेश्का, रूस जैसे देशों में तो थियेटर स्कूल की अन्य गतिविधियों में प्रमुखता से शामिल है। कहीं पर बच्चे की छुट्टी के बाद नाटक का अभ्यास करते हैं, तो कहीं पर गर्मियों की छुटिटयों में किसी थियेटर गुप में दाखिला लेते हैं। यही वजह है कि इन देशों में पूरे साल बच्चों के लिए थियेटर फेस्टिवल चलते रहते हैं। आओ, जानते हैं कि अलग-अलग देशों में किस तरह के थियेटर बच्चों में प्रचलित हैं।
लाला जलेबी वाला
लाला जी की जलेबिया और उनकी कहानियां
लकी का अधिकार
झमाझम पानी दोपहर से बरस रहा था । ज्यादातर सड़कों पर गाड़ियां जगह-जगह पानी में डूबी खड़ी थीं, जिन्हें उनके ड्राइवर छोड़ गए थे।
रोहन का मन
दादाजी के अस्सीवें जन्मदिन की पार्टी चल रही थी। शहर के भीतरी हिस्से में स्थित घर के खूबसूरत बगीचे में गहमा-गहमी के माहौल में दादाजी सबसे बधाइयां ले रहे थे।
रुई सी बर्फ में मस्ती
सर्दी का मौसम आते ही अधिकतर जानवर ठंड के कारण परेशान हो जाते हैं। मगर कुछ जानवर ऐसे भी होते हैं, जो बर्फ का मजा लेते हैं। रुई सी नरम बर्फ उन्हें बहुत अच्छी लगती है।
रंगीन हो गई होली
जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आ रहा था, चारों ओर उसी की चर्चा हो रही थी। कोई होली पर बनाए व खाए जाने वाले पकवानों की बात कर रहा था, तो कोई होली खेलते वक्त गाए जाने वाले गीतों को याद कर रहा था।
रामू की बहन
उसका घर का नाम बालादत्त था। जब वह आया, तो दीपा की मां ने मुसकराकर कहा कि ऐसा नाम इस घर में नहीं चलेगा दीपा के दादा का नाम भी तो कुछ ऐसा ही था। बालगोविंद और बालादत्त में क्या फर्क है ?
मेरे प्यारे सैंटा
“रिया दीदी, आप इस पेड़ को क्यों सजा रही हो ?" काम वाली बाईचंदा की आठ साल की बेटी रोशनी ने पूछा । रिया आश्चर्य से बोली, "अरे ! यह क्रिसमस ट्री है । तुम नहीं जानती क्या ?"
मेरा भारत मेरी शान
दुनिया की किसी भी चीज से बड़ी होती है देश की आन-बान-शान । देश है तो हम हैं । हम सब चैन की नींद सो सकते हैं, क्योंकि देश के वीर सैनिक जागते हैं । सैनिकों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब किसी सैनिक से बेहतर कोई नहीं दे सकता । इन सवालों के जवाब हमने पूछे भारतीय वायुसेना के जनसंपर्क अधिकारी ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी से । आओ जानें, इस बारे में उन्होंने क्या बताया ।
मुर्ग की लाल कलगी
कुकडू मुर्गा की लाल कलगी में आग है छुओगे तो जल जाओगे।
बाल दिवस
बाल दिवस की तैयारिया और बच्चो का प्रतियोगिताएं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना।
बहुत कुछ सिखाते हैं हमारे घर के बडे
जिन बच्चों को दादा-दादी और नाना-नानी का साथ मिलता है, वे बड़े खुशकिस्मत होते हैं। अधिकांश बच्चों को तो साल में एक-दो बार ही उनसे मिलने का मौका मिल पाता है। पर क्या तुम्हें पता है, घर के बड़ों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उनका अनुभव हमारे लिए जादू का पिटार होता है।
बर्फगाड़ी
बहुत दिन हुए डेनमार्क में एक धनी जमींदार रहता था । उसकी एक बेटी थी । वह बहुत सुंदर थी । परंतु वह हर समय उदास रहती थी । उसे कभी किसी ने मुसकराते हुए नहीं देखा था । वह घंटों कमरे में अकेली बैठी रहती थी ।
बडा हो गया आरव
आरव अब बड़ा हो गया है, बस दस साल की उम्र में उसने जिम्मेदारी सिख ली।
फूल और पौधे भी करते हैं बातें
क्या तुम्हें पता है कि इनसानों की तरह पेड़-पौधे भी आपस में बातें करते हैं! वे हमारी बात समझ सकते हैं। पेड़-पौधों को संगीत सुनना भी पसंद है। पेड़ फूलों के माध्यम से बातचीत करते हैं। आओ, पेड़- पौधों के बीच होने वाली मजेदार बातों के बारे में जानें।