जापान में हयाकूजो येकाइ नाम का झेन सद्गुरु हुआ, जिनकी बड़ी ख्याति थी। उनके पास एक दिन एक भिक्षु ने आकर पूछा- "इस जगत में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना क्या है?" हयाकूजो ने उत्तर दिया, ''मेरे इस कक्ष में केवल अपने साथ ही बैठे रहना।'' भिक्षु ने सिर झुकाया और अपने सद्गुरु से अनुप्रेरित होकर अपनी एकांत साधना शुरू कर दी।
この記事は Kadambini の June 1, 2020 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Kadambini の June 1, 2020 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
उम्र एक गिनती है या सोच
उम्र का संबंध जितना गिनती से है, उससे कहीं ज्यादा आपकी सोच से है। यही सोच आपको वक्त से पहले बूढ़ा बना देती है और यही सोच आपको बूढ़ा नहीं होने देती। फर्क सारा सोच का है। यही फर्क उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी आपको युवा बनाए रखता है
तनाव पर ऐसे पाएं जीत
तनाव, एक ऐसा शब्द, एक ऐसा अहसास जिससे हम सबका जीवन में कभी-न-कभी सामना जरूर होता है। कभी-कभी हो जाए, तो कुछ नहीं, लेकिन यह स्थायी नहीं होना चाहिए। साथ ही इसे इतना गहरा भी नहीं होना चाहिए कि हम पर हावी हो जाए। अकेलापन तनाव को बढ़ाता है और परस्पर संवाद इससे लड़ने की ताकत देता है
अपनी सेहत का डिफेंस सिस्टम
इम्युनिटी बढ़ाने का तत्काल साधन वैक्सीन होता है, लेकिन कोरोना-जैसी बीमारी की अभी तक वैक्सीन नहीं बनी है। ऐसी हालत में जरूरी है कि हम अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दूसरे उपायों का इस्तेमाल करें। यह सब जानते हैं कि एक तंदुरुस्त और मजबूत शरीर किसी भी बीमारी से बेहतर लड़ सकता है और इनसान को किसी भी रोग से बचाने में मददगार हो सकता है
ताकि बनी रहे हमारी आंतरिक ऊर्जा
आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसमें हर कोई परेशान है। इस कारण न केवल तन से बल्कि मन से भी हम बीमार होते जा रहे हैं। कोरोना से पैदा हुए इन हालात में जब तक इस बीमारी की कोई वैक्सीन या दवा नहीं आ जाती, हमें मन के स्तर पर इससे लड़ना होगा। अपनी जीवन ऊर्जा को मजबूत करना होगा
अपनी सामाजिक व्यवस्थाओं का करें खयाल
कोरोना ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत और महत्त्व को साबित कर दिया है। इस दौरान यह देखा गया कि जिन देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत स्थिति में हैं, वहां इस महामारी से पैदा हुआ संकट काफी हद तक नियंत्रण में रहा। अब समय आ गया है कि हम अपनी सामाजिक और सार्वजनिक सेवाओं को भी सेहतमंद बनाएं
युवाओं की आकांक्षाओं को पंख देती नई शिक्षा नीति
बहुप्रतीक्षित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है। यह शैक्षिक ढांचे में एक बड़े बदलाव का संकेत हैं। उम्मीद की जा रही है कि अभी तक स्कूलों से दूर करीब दो करोड बच्चों को मुख्य धारा में लाया जा सकेगा। शिक्षा नीति की खासियतें बताता आलेख
प्रकृति को बनाएं अपने जीवन का हिस्सा
इनसान अपने को फिट रखने के लिए क्या-क्या नहीं करता। कभी जिम, कभी योगा, कभी टहलना तो कभी वे तमाम साधन अपनाता है, जिससे कि वह फिट रह सके। वह इस भागदौड़ में यह भूल जाता कि वह यदि अपना जीवन प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप जिए, तो एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। प्रकति के अनुसार रहन-सहन, खानपान, व्यायाम, यानी एक सुचारू और संपूर्ण दैनिक जीवनचर्या
फिटनेस को बनाएं मूल मंत्र
बहुत बातें करते हुए भी फिटनेस हमारी प्राथमिकता कभी नहीं रही। हां, जब-जब हमारे ऊपर 'कोरोना'-जैसा महामारी के रूप में कोई संकट आता है, तो हम फिर इस शब्द के अर्थ टटोलने लगते हैं। लेकिन यह आज की और हमेशा की भी सच्चाई है कि बिना फिट हुए हम किसी भी बीमारी से नहीं लड़ सकते। किसी भी बीमारी या महामारी से लड़ने का पहला हथियार आपकी फिटनेस है। आपके इम्यून सिस्टम का मजबूत होना है। अगर आप सेहतमंद हैं, तो किसी भी भी बीमारी से अपने आपको काफी हद तक बचा सकते हैं
सिर्फ और सिर्फ फिटनेस
पिछले छह-सात महीनों में लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ आ गई है कि-'पहला सुख निरोगी काया है।' इस ज्ञान के पीछे का आधार है-'कोरोना।'
शिक्षा नीति और हिंदी के सामने चुनौतियां
नई शिक्षा नीति ने शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव की बड़ी उम्मीद जगाई है। अंग्रेजी मोह में नौनिहालों की मौलिकता नष्ट हो रही थी और वे रदंतू बनते जा रहे थे, पर नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा को शैक्षिक आधार में रखा है। इस महत्त्वाकांक्षी शिक्षा नीति को संकल्प के साथ लागू करना सबसे बड़ी बात होगी