व्यक्तिपूजा के निषेध और अस्पृश्यता निवारण का मूल मंत्र
Uday India Hindi|April 10, 2022
केशव बलिराम हेडगेवार जब जवानी की ओर कदम बढ़ा रहे थे, उन दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस औपनिवेशिक सोच और आधार से मुक्त होकर उस भारतीय जनमानस का प्रतिनिधि बन चुकी थी, जो अंग्रेजों की गुलामी से अपने देश और अपनी माटी को आजाद देखना चाहता था। कांग्रेस को इस दिशा में मोड़ने में निश्चित तौर पर लाल-बाल और पाल की तिकड़ी के ओजस्वी नेतृत्व का प्रभाव सबसे ज्यादा था। लाल यानी लाला लाजपत राय, बाल यानी बाल गंगाधर तिलक और पाल यानी विपिन चंद्र पाल जैसे गरम दल के नेताओं ने कांग्रेस को भारतीयों की सोच की प्रतिनिधि पार्टी बनाने की दिशा में मोड़ दिया था। यह भी देखने की बात है कि ये तीनों नेता भारत के तीन इलाकों के थे, लेकिन भारतीय राष्ट्र की अखंडता और उसकी आजादी को लेकर तीनों की सोच एक थी। बाल गंगाधर तिलक जहां देश के पश्चिमी हिस्से यानी महाराष्ट्र के थे, वहीं बिपिन चंद्र पाल देश के पूर्वी छोर यानी बंगाल के निवासी थे। इसी तरह लाला लाजपत राय पंजाब के थे।
उमेश चतुर्वेदी
व्यक्तिपूजा के निषेध और अस्पृश्यता निवारण का मूल मंत्र

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