रितु, उस की बहन सिया और उन की चचेरी बहन जूही शहर से बाहर स्थित अपने दादाजी के फार्महाउस को देखने गए थे. रितु और जूही 10 वर्ष की हैं, जबकि सिया उन से एक साल छोटी है. वे एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे.
रितु के पापा गौतम और जूही के पापा मन्नु अंकल भाई थे. खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों वाली छोटीछोटी पहाड़ियां और हरेभरे पेड़ उन के परिवार के पैतृक घर के चारों ओर फैले हुए थे. यह स्थान एक छोटा सा हिल स्टेशन था.
अगले दिन सुबह जब वे ब्रेकफास्ट कर रहे थे तब उन के दादाजी उन के पापा की बचपन की यादों का स्मरण कर रहे थे.
"क्या तुम्हें याद आता है कि तुम और गर्मियों के दौरान पास की पहाड़ी पर कैसे कैंप लगाना चाहते थे?" दादीमां ने पूछा.
"वह सबकुछ मुझे अच्छी तरह याद है. मैं ज्यादा गुस्सा हो गया था, जब मुझे कैंप में जाने से पापा ने मना कर दिया था," मिस्टर गौतम ने कहा.
"अंततः हम ने कैंप लगाया था," मन्नु अंकल ने कहा.
"आप ने कहां कैंप लगाया था?" उत्सुकता से रितु पूछा.
"क्या आप किसी जंगली जानवर से मिले थे?' जूही ने बात को आगे बढ़ाया.
"हमारे मम्मीपापा ने पहाड़ी पर कैंप लगाने की अनुमति हमें नहीं दी थी, इसलिए हम ने अपने दोस्तों के साथ घर के पिछवाड़े कैंप लगाया था. हम ने वहां साफसफाई की और 3 तंबू किराए पर लिए और कैंप लगाया था. हम ने अलाव जलाया और सीखचों पर मांस भून कर खाना पकाया. यह एक बहुत ही मजेदार कार्य था," मन्नु अंकल ने कहा.
"निश्चित ही यह बहुत मजेदार रहा होगा. हम भी तो कैंप लगा लें? हम इस बड़े घर की बाउंड्री में सुरक्षित रूप से कैंप लगा सकते हैं," सिया ने सुझाव दिया.
"लेकिन हम तो कल शादी में जा रहे हैं. हम कैंप अगली बार लगाएंगे," रितु की मम्मी ने कहा.
"हम दादादादी के साथ यहीं रुकेंगे," जूही ने कहा.
"लड़कियों को कुछ मजे कर लेने दो. मौसम बढ़िया है और हम इन पर नजर रखेंगे," उन की दादीमां ने कहा.
लड़कियां खुशी से कूदने लगीं.
ब्रेकफास्ट के बाद लड़कियों ने घर के पिछवाड़े के हिस्से को साफसुथरा किया और पत्थरों को खड़ा कर, बांस की स्टिक्स और चादरों की मदद से एक अस्थाई टैंट खड़ा कर दिया.
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
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