खुद पर विश्वास रखो
Champak - Hindi|September Second 2023
अर्जुन अपने दादादादी के साथ रहता था, जो उस के अभिभावक होने के साथसाथ उस के मित्र भी थे. वह अपने दादा को प्यार को प्यार से 'दद्दू' कहता था. उस के दद्दू युवावस्था में एथलीट थे और उन्होंने अपने शहर के लिए कई पदक जीते थे.
कुसुम अग्रवाल
खुद पर विश्वास रखो

एक दिन दादापोता दोनों मिल कर टीवी पर एशियाई खेलों का सीधा प्रसारण देख रहे थे. खेल देखते समय दादा ने अर्जुन की आंखों में वही चमक देखी जो कभी उन में थी और वे जान गए कि यह लड़का भी एक अच्छा एथलीट बन सकता है.

"दद्दू, एक दिन मैं भी इन अद्भुत एथलीटों की तरह एशियाई खेलों में भाग लूंगा," अर्जुन ने कहा.

उस का चेहरा दृढ़ संकल्प से चमक रहा था.

"बेशक, मेरे बेटे, कड़ी मेहनत और समर्पण से तुम कुछ भी हासिल कर सकते हो," दादा ने गर्व से उस की पीठ थपथपाते हुए उत्तर दिया.

उस दिन से अपने दद्दू के निर्देशानुसार अर्जुन ने खुद को प्रशिक्षण के लिए समर्पित कर दिया. अब वह हर सुबह सूरज उगने से पहले सड़क पर दौड़ता था. उस के दिन दौड़ने और लंबी कूद से ले कर तैराकी और साइकिल चलाने तक विभिन्न खेलों का अभ्यास करने में व्यतीत होने लगे.

"अब तुम्हें अन्य एथलीटों की तरह विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी भाग लेना चाहिए ताकि तुम्हारा आत्मविश्वास जागृत हो सके," एक दिन दद्दू ने अर्जुन को समझाया.

दद्दू के कहे अनुसार अर्जुन ने अपने स्कूल में होने वाली वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया. उस के बाद अंतर्विद्यालय प्रतियोगिताओं में, फिर जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेने लगा. अपनी लग्न और परिश्रम से हर बार वह शीर्ष पर रहता था.

जैसेजैसे साल बीतते गए, अर्जुन की प्रतिभा और समर्पण ने उन के शहर के प्रसिद्ध खेल कोच कुमार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. अर्जुन के कौशल से प्रभावित हो कर कर कोच कुमार ने उसे अपनी अकादमी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, जहां वे युवा एथलीटों को उन की क्षमता अनुसार प्रशिक्षित करते थे.

निमंत्रण पा कर अर्जुन का दिल तेजी से धड़क उठा. दादादादी भी यह समाचार सुन कर बहुत खुश हुए, क्योंकि वे जानते थे कि अर्जुन के एशियाई खेलों में भाग लेने के सपने को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम था.

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