तीनों नन्हे सूअरों को उन्होंने अपने पास बुलाया और कहा, "बच्चो, अब तुम बड़े हो गए हो. तुम खुद अपना खयाल रख सकते और तुम्हें दुनिया देखनी चाहिए ताकि तुम स्वयं को भविष्य के लिए तैयार कर सको."
तीनों सूअरों को मां की बात ठीक लगी और वे घर से निकल गए. घूमतेफिरते वे एक जंगल में पहुंचे. वहां उन्होंने बहुत से जानवर देखे कुछ छोटे तथा कुछ उन से बड़े भी थे.
उन्होंने कुछ दिन उस जंगल में बिताए, लेकिन फिर बड़े जानवरों के डर से एक छोटे से गांव में चले गए. वहां गांव के लोगों द्वारा फेंका गया बचाखुचा भोजन खा कर उन के दिन मजे से गुजरने लगे.
एक दिन तीनों भाइयों को याद आया कि मां ने कहा था कि अपने लिए एक मजबूत घर बना लेना. लेकिन तीनों ने मां की बात को भूल गए और उन्होंने अपने लिए घर नहीं बनाया.
"मुझे घर बनाने की क्या जरूरत है? मैं तो इस तालाब के किनारे कीचड़ में ही ठीक हूं. यहां काफी ठंडक रहती है," सब से बड़े भाई ने कहा.
इस पर मंझला भाई बोला, "तुम ठीक कह रहे हो भाई. मुझे भी घर बनाने की कोई जरूरत नहीं है, मैं झाड़ियों में ही ठीक हूं," यह कह कर वह झाड़ियों में ही दुबक कर सो गया.
सब से छोटा दोनों बड़े भाइयों की बात सुन कर बोला, "मुझे भी घर बनाने की जरूरत महसूस नहीं होती. मैं भी यहीं इस बड़े नाले में रह कर अपना गुजारा कर सकता हूं और खुश रह सकता हूं," यह कह कर वह भी नाले की ओर चल दिया.
तीनों भाइयों के दिन मस्ती में गुजर रहे थे कि एक दिन उन्होंने देखा कि एक भेड़िया उन की ओर आ रहा है. भेड़िए को देख कर तीनों भाई डर गए और एकदूसरे से चिपक कर बैठ गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि भेड़िया गांव में क्यों आया है.
बड़ा भाई कुछ समझदार था, वह बोला, "मुझे लगता है कि यह भेड़िया भूखा है. इसे जंगल में शिकार नहीं मिला होगा, इसलिए यह गांव की ओर आ रहा है."
この記事は Champak - Hindi の October First 2023 版に掲載されています。
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बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
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दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
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जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
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जलेबी उत्सव
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अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...