सब से खुशी की बात यह थी कि पार्क में सुबहशाम बहुत से लोग टहलने आते थे. यह एक जीवंत और खुशियों से भरी आनंदित करने वाली जगह थी. प्यारेप्यारे छोटे बच्चे अपनी मम्मीपापा और दादादादी के साथ वहां आते थे.
बच्चे अकसर समूह में आते और खेलते थे. उन की खुशियों भरे शोरगुल से सैली को कोई फर्क नहीं पड़ता था. वास्तव में सैली को वे बच्चे पसंद थे, जो अपनी शरारतों से पार्क को जीवंत बनाते थे.
दोपहर में जब पार्क में कोई नहीं जाता था, तो वहां शांति रहती थी. सैली तब लंबी नींद सोती थी. सर्दियों में दोपहर को भी पार्क में खूब हलचल रहती थी. लोग घास पर चादरें बिछाते और मूंगफली, संतरे तथा अन्य चीजें खाया करते.
कुछ लोग तो अपना लंच भी पार्क में ही करते थे. सैली को भी वहां खाने के लिए मूंगफली, चने और रोटी के टुकड़े मिल जाते थे.
सैली कुछ कुछ भी नहीं समझ पाती थी, लेकिन वहां जो भी घटता था, उसे देखना वह पसंद करती थी.
कुछ लोग तेज चलते तो कुछ दौड़ते थे. बूढ़े व्यक्ति चारों ओर धीरेधीरे टहलते थे. युवा चलते समय कानों पर इयरफोन लगाए संगीत के मजे लेते थे. बच्चे झूलों पर झूलते और इधरउधर दौड़ते या बौल खेलते. कुछ लोग घास पर पैर मोड़ कर, आंखें बंद कर आराम से बैठ जाते थे.
कभीकभी कुछ लोग जो पार्क में आते थे, उस पेड़ के चारों ओर जो चबूतरा था, उस पर बिस्किट के टुकड़े या अनाज के दाने रख जाते थे.
この記事は Champak - Hindi の November First 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です ? サインイン
この記事は Champak - Hindi の November First 2023 版に掲載されています。
7 日間の Magzter GOLD 無料トライアルを開始して、何千もの厳選されたプレミアム ストーリー、9,000 以上の雑誌や新聞にアクセスしてください。
すでに購読者です? サインイン
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.