राजधानी दिल्ली की 34 वर्षीया डा. शोभा कपूर हर रोज की तरह 5 मई, 2023 की सुबह सवा 10 बजे के करीब अपने प्राइवेट नर्सिंग होम पहुंच गई थीं. उन्होंने कुछ मरीजों को 11 बजे से मिलने का अपौइंटमेंट दे रखा था. मरीजों के आने में थोड़ा समय था, सो उन्होंने अपने केबिन में लैपटाप खोल लिया था.
रिपोर्ट तैयार करने संबंधी कुछ काम करने लगी थीं. इसी बीच मोबाइल पर एक काल आई. वह अनजान थी. इसलिए डाक्टर ने उसे नजरंदाज कर दिया. 8 सेकेंड के बाद रिंग बंद हो गई, लेकिन आधे मिनट बाद फिर उसी नंबर से काल आई. इस बार 10 सेकेंड के बाद भी रिंग बजती रही.
काम में बिजी डाक्टर कुछ पल के लिए असहज हो गईं, फिर केबिन के बाहर बैठे अपने कर्मचारी को आवाज लगाई. फोन उस की ओर बढ़ाते हुए बोलीं, "देखना कौन है, अगर कोई मरीज हो तो उसे साढ़े 12 के बाद का अपौइंटमेंट दे देना."
उस के बाद वह फिर अपने काम में लग गईं. तब तक कर्मचारी बोला, "मैडम, आप से ही बात करना चाहता है. बोल रहा है अर्जेंट है.
"होल्ड करने को बोल. ला, इधर फोन रख. सब को अर्जेंट ही रहता है, पहले इस फाइल को सेव कर लूं." उस के बाद सामने रखा फोन उठा कर बोलीं, "हैलो!"
"फोन सुनने में इतनी देरी मैडम, क्या बात है?" उधर से तीखे लहजे में आवाज आई.
"आप कौन साहब बोल रहे हैं?"
“मैं मुंबई से नारकोटिक्स विभाग का औफिसर बोल रहा हं. आप के खिलाफ हमें एक शिकायत मिली है."
"कैसी शिकायत? मैं तो पिछले कई सालों से मुंबई गई तक नहीं." डाक्टर चौंकती हुई बोलीं.
"मैडम, अभी पता चल जाएगा. आप डाक्टर कपूर ही बोल रही हैं न!" उधर से तहकीकात के अंदाज में आवाज आई.
"हांहां, मैं डा. शोभा कपूर (बदला नाम) ही बोल रही हूं. बताइए, क्या शिकायत है?"
この記事は Manohar Kahaniyan の July 2023 版に掲載されています。
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