उत्तर प्रदेश इस का सब से बड़ा उदाहरण है. साल 1990 की शुरुआत से ही बसपा का असर बढ़ना शुरू हुआ. उसी समय से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई. साल 1989 में कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई. इस के बाद साल 1993 में बसपा ने समाजवादी पार्टी के साथ मिल कर सत्ता हासिल की.
साल 1995, 1997 और 2002 में बसपा नेता मायावती ने भारतीय जनता पार्टी की मदद से और साल 2007 में पूरे बहुमत से सरकार बनाई.
मायावती मुख्यमंत्री बनीं, तो दलित वोट बैंक पूरी तरह से बसपा के साथ चला गया और कांग्रेस की नाव सियासी मझदार में डूब गई. साल 2017 के बाद दलित वोट बैंक में भाजपा ने सेंधमारी की. इस के बाद भी बहुत बड़ा तबका एक प्लेटफार्म की तलाश में भटक रहा था.
अब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश को राजनीति की प्रयोगशाला समझ कर नया प्रयोग शुरू किया है.
बसपा के नेता रहे बृजलाल खाबरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. एक अध्यक्ष के साथसाथ 6 प्रांतीय अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. इन में मंत्री रह चुके नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अजय राय, वीरेंद्र चौधरी, नकुल दुबे, अनिल यादव और योगेश दीक्षित का नाम शामिल है.
नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती के बहुत करीबी थे. उन्होंने बसपा में लंबे समय तक राजनीति की है. इसी तरह से नकुल दुबे भी बसपा में मंत्री रहे हैं. अनिल यादव ने अपनी राजनीति बसपा से शुरू की, इस के बाद वे समाजवादी पार्टी में भी रहे.
अजय राय मूल रूप से भाजपा के नेता हैं. वे समाजवादी पार्टी में भी रहे हैं. वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस में आने से पहले बसपा में थे. इस तरह से देखें, तो अध्यक्ष समेत 4 प्रांतीय अध्यक्ष बसपा से कांग्रेस में आए हैं. योगेश दीक्षित अकेले ऐसे नेता हैं, जो मूल रूप से कांग्रेसी हैं.
कौन हैं बृजलाल खाबरी
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने बृजलाल खाबरी साल 2016 में बसपा छोड़ कर कांग्रेस में आए हैं. वे जालौन के रहने वाले हैं.
この記事は Saras Salil - Hindi の November First 2022 版に掲載されています。
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