राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ के गांव बड़ोपल का रहने वाला युवा राजेंद्र बावरी बीते 3-4 साल से फोटोग्राफर का काम कर रहा था. हालांकि उस के नैननक्श साधारण थे, पर उस की व्यावहारिकता, बौडी लैंग्वेज व खिलखिला कर हंसने की आदत उसे निखरानिखरा रूप देती थी.
राजेंद्र ने माणकथेड़ी गांव में फोटोग्राफी की दुकान खोल रखी थी, पर वह मोबाइल फोटोग्राफी को ज्यादा पसंद करता था.
रंगीन तबीयत का धनी राजेंद्र विपरीत लिंगी को पहली मुलाकात में ही दोस्त बना लेता था. शादियों में उस के पास एडवांस बुकिंग रहती थी.
अक्तूबर 2021 में राजेंद्र बावरी नजदीक के एक गांव में विवाह समारोह की फोटो कवरेज के लिए आया हुआ था. वधू वक्ष से जानपहचान व सजातीय होने के कारण राजेंद्र बेहिचक कैमरा उठाए अंदरबाहर आजा रहा था. बारात दरवाजे पर पहुंच चुकी थी.
रिबन कटाई की रस्म होने को थी. गले में कैमरा लटकाए राजेंद्र ने एक स्टूल पर खड़े हो कर अपनी पोजीशन ले ली थी. घोड़ी से उतर कर दूल्हा मुख्य दरवाजे पर पहुंच चुका था. अंदर से वधू के परिजन महिलाओं व सहेलियों का समूह भी दरवाजे पर आ जुटा था.
この記事は Satyakatha の October 2022 版に掲載されています。
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