झारखंड में नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाला रांची शहर खासी चर्चाओं में शुमार रहा है. चुटिया थाना इसी जिले में पड़ता है. 21 वर्षीय रोहित कुमार महतो चुटिया में रहने वाले अपने चचेरे भाई दीपक महतो के साथ रहने के लिए आया था.
हमउम्र रोहित और दीपक भाई कम दोस्त ज्यादा थे. दोनों के बीच बहुत पटती थी. जब कभी रोहित उदास या परेशान होता तो अपनी परेशानी को कम करने के लिए वह सीधा दीपक के पास आ जाता था या फोन पर बात कर मन हलका कर लेता था.
24 जून, 2022 को भी रोहित का मन काफी अशांत था. दिल बहलाने के लिए ही वह दीपक से मिलने रामगढ़ से रांची आया था. दीपक से मिल कर उस की आधी परेशानी मिट जाती थी और खुद को इस तरह हलका महसूस करता था जैसे उसे जीने के लिए नई संजीवनी मिल जाती हो. उस का मन तरोताजा हो जाता था.
बात 29 जून, 2022 की रात करीब साढ़े 9 बजे की थी. खाना खा कर रोहित दीपक के साथ सोने उस के कमरे में आया. बैड पर लेट कर दोनों गपशप करने लगे. तभी रोहित के मोबाइल की घंटी बज उठी. सिरहाने रखा मोबाइल फोन उठा डिसप्ले पर आए नंबर को ध्यान से देखा. वह नंबर बड़ी बहन चंचला का था.
फौरन उस ने काल रिसीव की और कान से सटाते हुए बोला, "हैलो, दीदी प्रणाम."
“मेरी भी उमर ले कर जियो खुश रहो." चंचला ने भाई को जोरदार आशीर्वाद दिया, "कैसे हो भाई?"
"फर्स्ट क्लास दीदी.
"और दीपक कैसा है ? क्या कर रहा है वो?"
“वो भी ठीक है दीदी, पास में ही लेटा है. हम दोनों एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोते हैं दीदी. लो, दीपक से बात कर लो, तुम से बात करने के लिए उतावला हो रहा है." कहते हुए रोहित ने मोबाइल फोन दीपक को थमा दिया.
"प्रणाम दीदी, " फोन रिसीव करते हुए दीपक ने चंचला को सम्मान दिया.
この記事は Satyakatha の November 2022 版に掲載されています。
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