जितेंद्र सिंह 23 फरवरी, 2023 को पत्नी खुशबू के साथ लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाले अपने मौसा के यहां पहुंच गया. वहां मौसा बाबू सिंह की बेटी की शादी थी. इसलिए वह दिन में ही पहुंच गया था. उसी रोज शाम को बारात आने वाली थी. घरपरिवार के सभी लोग शादी के बचेखुचे कामकाज निपटाने में व्यस्त थे. कुछ काम जितेंद्र ने भी अपने हाथों में लिया था. इसी बीच उसे दोस्त रंजीत सिंह का फोन आया. रंजीत ने उस से पूछा, "हां यार, कहां है तू?"
"अरे, मैं अपनी मौसेरी बहन की शादी में आया हुआ हूं गोमती नगर." जितेंद्र बोला.
"अरे वाह! मैं भी तो यहीं हूं...तुम्हारे मौसा के घर से ज्यादा दूर नहीं हूं. आ न, साथ बैठते हैं, कई हफ्ते हो गए हमें जाम टकराए हुए." उधर से रंजीत की आवाज आई.
जितेंद्र चहकता हुआ बोला, "अच्छा ब्रांड है न?"
"क्या बात करता है, तू ही मेरा अकेला जिगरी यार है....चल आ जा अभी." रंजीत ने कहा.
जितेंद्र फटाफट खुशबू के पास गया और बोला, "मैं रंजीत के पास जा रहा हूं."
"जल्दी आ जाना...और हां, हिसाब से पीना, वह जो पैसे देगा वह संभाल कर लाना." खुशबू ने समझाया.
この記事は Satyakatha の May 2023 版に掲載されています。
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