ब्रेस्टफीडिंग मां के लिए एक सुखद अहसास होता है। यही वह समय होता है, जब मां और बच्चे के बीच एक गहरा रिश्ता बनता है। स्तनपान शिशु और मां, दोनों के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। मां का दूध एंटीबॉडी और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और उन्हें संक्रमण एवं बीमारियों से बचाने में मदद करता है। यह आसानी से पचने योग्य होता है और बढ़ते शिशु की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम होता है। इसके अतिरिक्त स्तनपान मां और बच्चे, दोनों में मोटापा, मधुमेह कुछ प्रकार के कैंसर जोखिम को कम करने में सहायक होता है। हालांकि इसके और फायदों के बावजूद अगर स्तनपान सही ढंग से न कराया जाए तो यह चुनौतियां पैदा कर सकता है। इनमें सबसे आम चिंताओं में से एक है निप्पल का दर्द, जो अनुचित लैचिंग के कारण मां और बच्चे, दोनों के लिए कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
この記事は Rupayan の March 01, 2024 版に掲載されています。
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।