कई बार अचानक आधी रात को बच्चों की तबियत खराब हो जाती है। ऐसे में माता-पिता समझ नहीं पाते कि क्या किया जाए? जरा याद कीजिए, पुराने समय में जब भी कोई बच्चा बीमार होता था तो उसे तात्कलिक रूप से राहत पहुंचाने के लिए नानी-दादी के पास सैकड़ों घरेलू नुस्खे मौजूद होते थे। समय के साथ इन नुस्खों को लोगों ने अपनाना छोड़ दिया, जो कि सही भी है, क्योंकि सही जानकारी न होने के कारण यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं और कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को परेशानी में नहीं देखना चाहता है। लेकिन सही जानकारी से बच्चों की मामूली स्वास्थ्य समस्याओं से घर पर ही आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
खांसी-जुकाम : अगर बच्चे की उम्र एक साल से अधिक है और उसे सूखी खांसी है तो अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना करके पिलाएं। इससे उसके गले में जमा सूखा कफ बाहर निकल जाएगा। नाक बंद होने की स्थिति में सादे पानी से स्टीम दिलाने से भी राहत मिलती है। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बगैर अपने मन से स्टीम लेने वाले पानी में कोई दवा न मिलाएं। आजकल बढ़ते प्रदूषण की वजह बच्चों में सांस संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। अगर सोते समय बच्चे की सांस से घरघराहट की आवाज सुनाई दे तो सचेत हो जाएं, यह अस्थमा का संकेत हो सकता है। इसके लिए बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में बच्चों को नेबुलाइजर से दवा देने की जरूरत पड़ सकती है। बच्चों को खांसी-जुकाम से बचाने के लिए घर में सफाई का विशेष ध्यान रखें। आस-पास के वातावरण में धुआं और धूल-मिट्टी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में घर में बना ताजा गरम सूप देना भी फायदेमंद साबित होता है। खांसी-जुकाम के समय बच्चों को ठंडी और खट्टी चीजों से दूर रखें।
この記事は Rupayan の March 29, 2024 版に掲載されています。
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।